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दुनिया हो और तू हो

जब तक दुनिया रहे तुम रहो तुम्हारी ज़ात से दुनिया का लुतफ़ है

तू हो और दुनिया हो

(आशीर्वाद के रूप में) तू हमेशा ज़िंदा रहे, दुनिया का मज़ा तेरे साथ रहे, तू दुनिया में फूले फले

दुनिया हो और तुम

जब तक दुनिया रहे तुम रहो तुम्हारी ज़ात से दुनिया का लुतफ़ है

दुनिया से ग़ारत हो

(श्राप) मिट जाए, तबाह हो

दुनिया अंधेर हो जाना

सख़्त सदमे पहुंचना, हिरास का आलम तारी होना, हद दर्जा मायूस हो जाना, बिलकुल बे आसरा हो जाना

दिमाग़ और हो जाना

मग़रूर होना

कुछ और हो जाना

कैफ़ीयत तबदील हो जाना , अंदाज़ बदल जाना

उत मत कभी तू जा रे मीता, जित रहता हो सिंह और चीता

जहाँ अत्याचारी एवं निर्दयी रहते हों वहाँ नहीं जाना चाहिए

दुनिया आँखों में अँधेर हो जाना

रुक : दुनिया अंधेर होना

दिमाग़ कुछ और हो जाना

इतराने लगना, सीधे मुँह बात न करना

दुनिया से दिल सर्द हो जाना

संसार की बातों से घृणा हो जाना, संसार की बातों में रुचि न रहना

दुनिया का लहू सफ़ेद हो गया

दुनिया वाले ख़ुदग़रज़ होगए हैं, लोगों में मुहब्बत नहीं रही

आज मैं हूँ और तुम हो

पूछ-ताछ और प्रतिकार के प्रयास में कोई कसर न छोड़ूँगा

हवा और कुछ हो जाना

۔ انداز بدل جانا۔ انقلاب ہوجانا۔ پہلا سا انداز نہ رہنا۔؎

क्या था और क्या हो गया

समय अस्त-व्यस्त हो गया, बना हुआ काम या बात बिगड़ गई

और ही कुछ हो जाना

परेशान हो जाना, बौखलाया हुआ होना

इधर की दुनिया उधर हो जाए

come what may

चाहे दुनिया इधर की उधर हो जाए

भले ही सब कुछ ग़लत हो जाए, चाहे कैसी भी क्रांति क्यों न आए

काल बागड़े दीजे और बुरा बामन से हो

क़हत हमेशा बागड़े के इलाक़े से शुरू होता है और ब्रहमन से हमेशा नुक़्सान होता है

हवा और हो जाना

इन्क़िलाब हो जाना, पहली सी हालत ना रहना, अंदाज़ बदल जाना, माहौल या फ़िज़ा मुख़्तलिफ़ हो जाना

मियाँ का जूता हो और मियाँ ही का सर

अपने ही हाथों लाचार होना, किसी की बेइज़्ज़ती इस के अपने ही कारिंदों के हाथों कराना

काल बागड़े उपजे और बुरा बामन से हो

क़हत हमेशा बागड़े के इलाक़े से शुरू होता है और ब्रहमन से हमेशा नुक़्सान होता है

आग और ख़स एक-जा हो तो मुमकिन नहीं कि न जले

अगर पुरूष एवं स्त्री इकट्ठे हों तो अवश्य संभोग की बारी आती है

मैं ने चुक़ंदर बोया और गाजर पैदा हो गई

अनहोनी बात , करना कुछ हो कुछ जाना

बरस भर में सख़ी और सूम बराबर हो जाते हैं

कंजूसी करने से कोई लाभ नहीं होता, अंत में दानवीर और कंजूस का हिसाब बराबर बराबर हो जाता है

ज़मीन शक़ हो जाए और मैं समा जाऊँ

अधिक कष्ट की स्थिति में कहते हैं

तिरया तू है सोभा घर की, जो हो लाज रखावा नर की

जो स्त्री अपने पति का सम्मान एवं गौरव स्थापित रखे वो घर की शोभा है

मुर्दे को बैठ कर रोते हैं और रोज़ी को खड़े हो कर

रोटी रोज़गार का दुख मुर्दे के दुख से अधिक होता है

घी मसाला काम करे और बड़ी बहू का नाम हो

काम किसी का और नाम किसी का, काम कोई करे नाम कोई पाए

बात ज़बान या मुँह से निकलना और पराई हो जाना

किसी बात का मशहूर हो जाना, किसी मामले को फैलने से रोकना क़ाबू से बाहर हो जाना

उत मत कभी न जा रे मीता, जित रहता हो सिंह और चीता

जहाँ अत्याचारी एवं निर्दयी रहते हों वहाँ नहीं जाना चाहिए

देख जगत और सामत डर और मत रो, बिना हुक्म भगवान के बाल न बेका हो

दुनिया के दुख की परवाह नहीं करनी चाहिए क्यूँकि बिना ईश्वर की आज्ञा के कुछ नहीं होता

दुनिया इधर से उधर हो जाना

दुनिया में क्रांति आ जाना, दुनिया में इन्क़िलाब आ जाना, कुछ का कुछ हो जाना, बहुत ज़्यादा बदलाव हो जाना

याद भली भगवान की और भली न को, राजा की कर चाकरी जो परजा ताबे' हो

ईश्वर की याद सब से बेहतर है इस से बेहतर और कुछ नहीं

टाल बता उस को न तू जिस से किया क़रार, चाहे हो बैरी तेरा चाहे होवे यार

वा'दा करके पूरा करना चाहिए चाहे दोस्त से हो चाहे शत्रु से

मुर्दे को बैठ कर रोया जाता है और रोटी को खड़े हो कर

रोटी रोज़गार का दुख मुर्दे के दुख से अधिक होता है

सुध बुध ना खो अपनी , बात ले मेरी मान , इस दुनिया रहना नहीं मत हो अंजान

अक़ल नहीं खूनी चाहिए याद रखना चाहिए कि दुनिया फ़ानी है

कच्चे बाँस को जिधर निवाओ नियो जाए और पक्का कभी टेढ़ा न हो

बच्चों को शुरू में जैसी शिक्षा दी जाती है वे वैसे ही अच्छे या बुरे बन जाते हैं क्योंकि उनकी बुद्धि कोमल होती है, बड़े होने पर सिखाने का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता

सरसों फूले फाग में और साँझी फूले साँझ, न फूले न फले जो तिरिया हो बाँझ

सरसों फाग में फूलती है शाम को शफ़क़ प्रकट होती है परंतु बाँझ स्त्री कभी नहीं फूलती

सरसों फूले फाग में और साँझी फूले साँझ, न कभी फूले न फले जो तिरिया हो बाँझ

सरसों फाग में फूलती है शाम को शफ़क़ प्रकट होती है परंतु बाँझ स्त्री कभी नहीं फूलती

देख जगत में औ दसा मत डर और मत रो, बिना हुक्म भगवान के बाल न बाँका हो

दुनिया के दुख की परवाह नहीं करनी चाहिए क्यूँकि बिना ईश्वर की आज्ञा के कुछ नहीं होता

सांसा साएं मेट दे और ना मेटे को, जब हो काम संदेह का तो नाम उसी का लो

ईश्वर के अतिरिक्त कोई संशय दूर नहीं कर सकता, जब कोई ख़तरनाक जुरम करता हो अथवा दुविधा की बात है तो ईश्वर का स्मरण करना चाहिए

कच्चा बाँस जिधर नवावो नव जाए, और पक्का कभी न टेढ़ा हो चाहे टूट जाए

बच्चों को शुरू में जैसी शिक्षा दी जाती है वे वैसे ही अच्छे या बुरे बन जाते हैं क्योंकि उनकी बुद्धि कोमल होती है, बड़े होने पर सिखाने का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता

मीत बनाए न बने बैरी सिंह और नाग, जैसे कधे न हो सकें ऐक ठौर जल आग

दुश्मन शेर और साँप दोस्त नहीं बन सकते जिस प्रकार पानी और आग इकट्ठे नहीं हो सकते

हाकिम की अगाड़ी और घोड़े की पिछाड़ी न खड़ा हो

दोनों तरह काफ़ी नुक़्सान होता है

जिस का जो स्वभाव जाए ना उस के जी से, नीम न मीठा हो सींचो गुड़ और घी से

स्वभाव और बुरी 'आदत नहीं जाती चाहे कितना भी प्रयास किया जाए

सांसा साएं मेट दे और न मेटे कोय, जब हो काम संदेह का तो नाम उसी का लेय

ईश्वर के अतिरिक्त कोई संशय दूर नहीं कर सकता, जब कोई ख़तरनाक जुरम करता हो अथवा दुविधा की बात है तो ईश्वर का स्मरण करना चाहिए

जो बैरी हों बहुत से और तू होवे एक, मीठा बन कर निकस चाही जतन है नेक

यदि दुश्मन बहुत हों और तू अकेला हो तो उन से मीठी बातें कर के स्वयं को बचा

जो बैरी हों बहुत से और तू होवे एक, मीठा बन कर निकस जा यही जतन है नेक

यदि दुश्मन बहुत हों और तू अकेला हो तो उन से मीठी बातें कर के स्वयं को बचा

जूँ जूँ मुर्ग़ी मोटी हो तूँ तूँ दुम सिकुड़े

कंजूस व्यक्ति जितना धनवान हो उतना ही कंजूसी करता है

जूँ-जूँ मेंह बरसे तूँ-तूँ कमली भारी हो

जितना क़र्ज़ बढ़ता है, उतनी ही बोझ अधिक होता है

उत भी तू मत बैठ पियारे जित बैठे हों बैरी सारे

जहाँ शत्रु हों वहाँ रुकना ठीक नहीं है

खेती, पाती, बीनती और घोड़े का तंग, अपने हाथ सँवारिये चह लाखों हों संग

यदि तुम काम अच्छा चाहते हो तो उसे स्वयं करो

खेती, पाती, बीनती और घोड़े का तंग, अपने हाथ सँवारिये चाहे लाखों हों संग

यदि तुम काम अच्छा चाहते हो तो उसे स्वयं करो

उत मत गेहूँ बुवा रे चेले, जित हों थल पाथर और ढेले

जिस ज़मीन में पत्थर और ढेले हों वहाँ गेहूँ नहीं बोना चाहिए

उत मत गेहूँ बुवा रे चेले, जित हों थाल और पाथर ढेले

जिस ज़मीन में पत्थर और ढेले हों वहाँ गेहूँ नहीं बोना चाहिए

साईं का रख आसरा और वाही का ले नाम, दो जग में भरपूर हों जो तेरे सगरे काम

ईश्वर पर भरोसा रख और उसी का नाम ले तो दोनों लोकों में तेरे काम पूरे होंगे

वो और होंगे

वह कोई और लोग होंगे, हम ऐसे नहीं हैं, ये काम हम नहीं करते

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में दुनिया हो और तू हो के अर्थदेखिए

दुनिया हो और तू हो

duniyaa ho aur tuu hoدُنْیا ہو اَور تُو ہو

दुनिया हो और तू हो के हिंदी अर्थ

  • जब तक दुनिया रहे तुम रहो तुम्हारी ज़ात से दुनिया का लुतफ़ है

دُنْیا ہو اَور تُو ہو کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • جب تک دنیا رہے تم رہو تمہاری ذات سے دنیا کا لطف ہے.

Urdu meaning of duniyaa ho aur tuu ho

  • Roman
  • Urdu

  • jab tak duniyaa rahe tum raho tumhaarii zaat se duniyaa ka lutaf hai

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दुनिया हो और तू हो

जब तक दुनिया रहे तुम रहो तुम्हारी ज़ात से दुनिया का लुतफ़ है

तू हो और दुनिया हो

(आशीर्वाद के रूप में) तू हमेशा ज़िंदा रहे, दुनिया का मज़ा तेरे साथ रहे, तू दुनिया में फूले फले

दुनिया हो और तुम

जब तक दुनिया रहे तुम रहो तुम्हारी ज़ात से दुनिया का लुतफ़ है

दुनिया से ग़ारत हो

(श्राप) मिट जाए, तबाह हो

दुनिया अंधेर हो जाना

सख़्त सदमे पहुंचना, हिरास का आलम तारी होना, हद दर्जा मायूस हो जाना, बिलकुल बे आसरा हो जाना

दिमाग़ और हो जाना

मग़रूर होना

कुछ और हो जाना

कैफ़ीयत तबदील हो जाना , अंदाज़ बदल जाना

उत मत कभी तू जा रे मीता, जित रहता हो सिंह और चीता

जहाँ अत्याचारी एवं निर्दयी रहते हों वहाँ नहीं जाना चाहिए

दुनिया आँखों में अँधेर हो जाना

रुक : दुनिया अंधेर होना

दिमाग़ कुछ और हो जाना

इतराने लगना, सीधे मुँह बात न करना

दुनिया से दिल सर्द हो जाना

संसार की बातों से घृणा हो जाना, संसार की बातों में रुचि न रहना

दुनिया का लहू सफ़ेद हो गया

दुनिया वाले ख़ुदग़रज़ होगए हैं, लोगों में मुहब्बत नहीं रही

आज मैं हूँ और तुम हो

पूछ-ताछ और प्रतिकार के प्रयास में कोई कसर न छोड़ूँगा

हवा और कुछ हो जाना

۔ انداز بدل جانا۔ انقلاب ہوجانا۔ پہلا سا انداز نہ رہنا۔؎

क्या था और क्या हो गया

समय अस्त-व्यस्त हो गया, बना हुआ काम या बात बिगड़ गई

और ही कुछ हो जाना

परेशान हो जाना, बौखलाया हुआ होना

इधर की दुनिया उधर हो जाए

come what may

चाहे दुनिया इधर की उधर हो जाए

भले ही सब कुछ ग़लत हो जाए, चाहे कैसी भी क्रांति क्यों न आए

काल बागड़े दीजे और बुरा बामन से हो

क़हत हमेशा बागड़े के इलाक़े से शुरू होता है और ब्रहमन से हमेशा नुक़्सान होता है

हवा और हो जाना

इन्क़िलाब हो जाना, पहली सी हालत ना रहना, अंदाज़ बदल जाना, माहौल या फ़िज़ा मुख़्तलिफ़ हो जाना

मियाँ का जूता हो और मियाँ ही का सर

अपने ही हाथों लाचार होना, किसी की बेइज़्ज़ती इस के अपने ही कारिंदों के हाथों कराना

काल बागड़े उपजे और बुरा बामन से हो

क़हत हमेशा बागड़े के इलाक़े से शुरू होता है और ब्रहमन से हमेशा नुक़्सान होता है

आग और ख़स एक-जा हो तो मुमकिन नहीं कि न जले

अगर पुरूष एवं स्त्री इकट्ठे हों तो अवश्य संभोग की बारी आती है

मैं ने चुक़ंदर बोया और गाजर पैदा हो गई

अनहोनी बात , करना कुछ हो कुछ जाना

बरस भर में सख़ी और सूम बराबर हो जाते हैं

कंजूसी करने से कोई लाभ नहीं होता, अंत में दानवीर और कंजूस का हिसाब बराबर बराबर हो जाता है

ज़मीन शक़ हो जाए और मैं समा जाऊँ

अधिक कष्ट की स्थिति में कहते हैं

तिरया तू है सोभा घर की, जो हो लाज रखावा नर की

जो स्त्री अपने पति का सम्मान एवं गौरव स्थापित रखे वो घर की शोभा है

मुर्दे को बैठ कर रोते हैं और रोज़ी को खड़े हो कर

रोटी रोज़गार का दुख मुर्दे के दुख से अधिक होता है

घी मसाला काम करे और बड़ी बहू का नाम हो

काम किसी का और नाम किसी का, काम कोई करे नाम कोई पाए

बात ज़बान या मुँह से निकलना और पराई हो जाना

किसी बात का मशहूर हो जाना, किसी मामले को फैलने से रोकना क़ाबू से बाहर हो जाना

उत मत कभी न जा रे मीता, जित रहता हो सिंह और चीता

जहाँ अत्याचारी एवं निर्दयी रहते हों वहाँ नहीं जाना चाहिए

देख जगत और सामत डर और मत रो, बिना हुक्म भगवान के बाल न बेका हो

दुनिया के दुख की परवाह नहीं करनी चाहिए क्यूँकि बिना ईश्वर की आज्ञा के कुछ नहीं होता

दुनिया इधर से उधर हो जाना

दुनिया में क्रांति आ जाना, दुनिया में इन्क़िलाब आ जाना, कुछ का कुछ हो जाना, बहुत ज़्यादा बदलाव हो जाना

याद भली भगवान की और भली न को, राजा की कर चाकरी जो परजा ताबे' हो

ईश्वर की याद सब से बेहतर है इस से बेहतर और कुछ नहीं

टाल बता उस को न तू जिस से किया क़रार, चाहे हो बैरी तेरा चाहे होवे यार

वा'दा करके पूरा करना चाहिए चाहे दोस्त से हो चाहे शत्रु से

मुर्दे को बैठ कर रोया जाता है और रोटी को खड़े हो कर

रोटी रोज़गार का दुख मुर्दे के दुख से अधिक होता है

सुध बुध ना खो अपनी , बात ले मेरी मान , इस दुनिया रहना नहीं मत हो अंजान

अक़ल नहीं खूनी चाहिए याद रखना चाहिए कि दुनिया फ़ानी है

कच्चे बाँस को जिधर निवाओ नियो जाए और पक्का कभी टेढ़ा न हो

बच्चों को शुरू में जैसी शिक्षा दी जाती है वे वैसे ही अच्छे या बुरे बन जाते हैं क्योंकि उनकी बुद्धि कोमल होती है, बड़े होने पर सिखाने का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता

सरसों फूले फाग में और साँझी फूले साँझ, न फूले न फले जो तिरिया हो बाँझ

सरसों फाग में फूलती है शाम को शफ़क़ प्रकट होती है परंतु बाँझ स्त्री कभी नहीं फूलती

सरसों फूले फाग में और साँझी फूले साँझ, न कभी फूले न फले जो तिरिया हो बाँझ

सरसों फाग में फूलती है शाम को शफ़क़ प्रकट होती है परंतु बाँझ स्त्री कभी नहीं फूलती

देख जगत में औ दसा मत डर और मत रो, बिना हुक्म भगवान के बाल न बाँका हो

दुनिया के दुख की परवाह नहीं करनी चाहिए क्यूँकि बिना ईश्वर की आज्ञा के कुछ नहीं होता

सांसा साएं मेट दे और ना मेटे को, जब हो काम संदेह का तो नाम उसी का लो

ईश्वर के अतिरिक्त कोई संशय दूर नहीं कर सकता, जब कोई ख़तरनाक जुरम करता हो अथवा दुविधा की बात है तो ईश्वर का स्मरण करना चाहिए

कच्चा बाँस जिधर नवावो नव जाए, और पक्का कभी न टेढ़ा हो चाहे टूट जाए

बच्चों को शुरू में जैसी शिक्षा दी जाती है वे वैसे ही अच्छे या बुरे बन जाते हैं क्योंकि उनकी बुद्धि कोमल होती है, बड़े होने पर सिखाने का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता

मीत बनाए न बने बैरी सिंह और नाग, जैसे कधे न हो सकें ऐक ठौर जल आग

दुश्मन शेर और साँप दोस्त नहीं बन सकते जिस प्रकार पानी और आग इकट्ठे नहीं हो सकते

हाकिम की अगाड़ी और घोड़े की पिछाड़ी न खड़ा हो

दोनों तरह काफ़ी नुक़्सान होता है

जिस का जो स्वभाव जाए ना उस के जी से, नीम न मीठा हो सींचो गुड़ और घी से

स्वभाव और बुरी 'आदत नहीं जाती चाहे कितना भी प्रयास किया जाए

सांसा साएं मेट दे और न मेटे कोय, जब हो काम संदेह का तो नाम उसी का लेय

ईश्वर के अतिरिक्त कोई संशय दूर नहीं कर सकता, जब कोई ख़तरनाक जुरम करता हो अथवा दुविधा की बात है तो ईश्वर का स्मरण करना चाहिए

जो बैरी हों बहुत से और तू होवे एक, मीठा बन कर निकस चाही जतन है नेक

यदि दुश्मन बहुत हों और तू अकेला हो तो उन से मीठी बातें कर के स्वयं को बचा

जो बैरी हों बहुत से और तू होवे एक, मीठा बन कर निकस जा यही जतन है नेक

यदि दुश्मन बहुत हों और तू अकेला हो तो उन से मीठी बातें कर के स्वयं को बचा

जूँ जूँ मुर्ग़ी मोटी हो तूँ तूँ दुम सिकुड़े

कंजूस व्यक्ति जितना धनवान हो उतना ही कंजूसी करता है

जूँ-जूँ मेंह बरसे तूँ-तूँ कमली भारी हो

जितना क़र्ज़ बढ़ता है, उतनी ही बोझ अधिक होता है

उत भी तू मत बैठ पियारे जित बैठे हों बैरी सारे

जहाँ शत्रु हों वहाँ रुकना ठीक नहीं है

खेती, पाती, बीनती और घोड़े का तंग, अपने हाथ सँवारिये चह लाखों हों संग

यदि तुम काम अच्छा चाहते हो तो उसे स्वयं करो

खेती, पाती, बीनती और घोड़े का तंग, अपने हाथ सँवारिये चाहे लाखों हों संग

यदि तुम काम अच्छा चाहते हो तो उसे स्वयं करो

उत मत गेहूँ बुवा रे चेले, जित हों थल पाथर और ढेले

जिस ज़मीन में पत्थर और ढेले हों वहाँ गेहूँ नहीं बोना चाहिए

उत मत गेहूँ बुवा रे चेले, जित हों थाल और पाथर ढेले

जिस ज़मीन में पत्थर और ढेले हों वहाँ गेहूँ नहीं बोना चाहिए

साईं का रख आसरा और वाही का ले नाम, दो जग में भरपूर हों जो तेरे सगरे काम

ईश्वर पर भरोसा रख और उसी का नाम ले तो दोनों लोकों में तेरे काम पूरे होंगे

वो और होंगे

वह कोई और लोग होंगे, हम ऐसे नहीं हैं, ये काम हम नहीं करते

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