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दूध में दूध पूत में पूत

अच्छे से अच्छा , ज़्यादा से ज़्यादा

दूध-पूत

मवेशी

दूध-पूत वाली

बाल-बच्चे वाली, नसीब वाली

दूध-पूत वाला

آل اولاد اور دھن دولت والا / والی، صاحبِ نصیب .

दूध-पूत क़िस्मत से

संतान एवं धन दोनों किसी अत्यंत भाग्यवान के पास होते हैं

दूध में मक्खी

किसी अच्छी चीज़ में बुरी चीज़ पैदा हो जाना

दूध में काला होना

संदेह होना, डर या भय होना

पिस्तानों में दूध उतरना

बच्चे की जन्म के बाद छातियों में दूध का पैदा हो जाना

छाती में दूध उतरना

औरत की छातीयों में दूध भर आना , मुहब्बत का जज़बा उभर आना

माँ खेत में, पूत जनेत में

माँ खेत में और बेटा बरात में, नीच माँ का ऊंचा बेटा (ये एक पहेली भी है और इसकी समझ केसर है)

छाती में दूध उतर आना

औरत की छातियों में दूध भर आना, मुहब्बत का जज़्बा उभर आना

बाप पेट में पूत ब्याहने चला

बेटा बाप से बढ़ गया

पालने में पूत के पाँव पहँचानना

बचपन ही में अंदाज़ा लगा लेना कि बच्चे की उठान किस किस्म की होगी, बच्चे की हरकात-ओ-सकनात से ताड़ लेना कि होनहार है कि नहीं, आग़ाज़ से अंजाम का अंदाज़ लगाना

बाप पेट में पूत ब्याहे चला

बेटा बाप से बढ़ गया

पालने में पूत के पाँव पहचानना

to recognize the talents of a child while he/ she is very young

दूध में की मक्खी किस ने चक्खी

ख़राब वस्तु का कोई उपयोग नहीं करता

पठान का पूत, घड़ी में औलिया घड़ी में भूत

यह कहावत अस्थिर चित्त दिखाने के लिए कहते हैं, ऐसे व्यक्ति के लिए जिसकी मानसिक स्थिति घड़ी-घड़ी बदलती रहे

मुग़ल का पूत घड़ी में औलिया घड़ी में भूत

रुक : पठान का पोत घड़ी में औलिया और घड़ी में भूत जो ज़्यादा मुस्तामल है

बाप के गले में मोगरे, पूत के गले में रुद्राक्ष

नव-धनी के प्रति कहते हैं कि बाप तो लकड़ी का हार पहनता था परंतु बेटा जवाहरात का कंठा पहनता है

छलनी में दूध दूहें कर्ग को रोएँ

हमाक़त का काम ख़ुद करें और तक़दीर को इल्ज़ाम दें, ख़ुद ही ग़लती करे तो क़िस्मत का क्या क़सूर

पूत कपूत पंगोड़ों में ही पहचाने जाते हैं

बच्चे में शुरू से अच्छे या बुरे होने के आसार पाए जाते हैं

मेहर तो बहुत है पर छातियों में दूध नहीं

ज़बानी आवभगत है देने लेने को कुछ नहीं

छलनी में दूध दूहें कर्ग का क्या दोश

हमाक़त का काम ख़ुद करें और तक़दीर को इल्ज़ाम दें, ख़ुद ही ग़लती करे तो क़िस्मत का क्या क़सूर

मियो का पूत बारा बरस में बदला लेता है

मेव लोग इंतिक़ाम लेकर रहते हैं, ख़ाह देर में ही

पूत के पाँव पालने में ही पहचाने जाते हैं

(किसी किये) बुराई भलाई शुरू ही में आसार से दरयाफ़त करली जाती है, नेक बुख़ती बदबख़ती का हाल बचपन या आग़ाज़ ही में हरकात-ओ-सकनात से खुल जाता है

पूत के पाँव पालने में दिखाई देने लगते हैं

signs of future character are visible in childhood, coming events cast their shadow

दूध में मिठास मिलाओ तो और भी मज़ा देगा

किसी अच्छी चीज़ में दूसरी अच्छी चीज़ मिलाना अच्छा होता है, दो बेहतर चीज़ों से बेहतरीन का हुसूल होता है . अच्छे ख़ानदानों का मेल बेहतर होता है

दूध में की मक्खी कसी ने न चखी

नालायक़ को कोई पसंद नहीं करता, ख़राब चीज़ कोई इस्तिमाल नहीं करता

जैसे दूध में से मक्खी निकाल कर फेंक देते हैं

किसी को मुआमले से ना काम या अलग कर देने के मौक़ा पर कहते हैं

निन्नानवे घड़े दूध में एक घड़ा पानी क्या पहचाना जावे

बहुत सी चीज़ में अगर एक घड़ा थोड़ी सी ख़राब चीज़ का मिला दो तो पता नहीं चलता , ज़्यादा माल में थोड़ासा ख़राब भी हो तो पहचाना नहीं जा सकता

दूध में से मक्खी की तरह निकाल कर फेंक देना

दूध की मक्खी जैसे हस्तक्षेप करने वाले व्यक्ति का बहिष्कार कर देना

भैंस कहे गुन मेरा पूरा मेरा दूध पी होवे सूरा, जिस के घर में बँध जाऊँ दूध दही की नाल बहाऊँ

भैंस की प्रशंसा है कि जिस घर में भैंस होती है वहाँ दूध दही की कमी नहीं होती

आप मिले सो दूध बराबर माँगे मिले सो पानी, कहे कबीर वो रक्त बराबर जा में ईंचा-तानी

बिना सवाल के आवश्यकता पूरी हो तो क्या कहना और माँगने की आवश्यकता पड़े तो आनंद नहीं आता

रूख बिना ना नगरी सोहे बिन बरगन ना कड़ियाँ, पूत बिना ना माता सोहे लख सोने में जड़ियाँ

शहर बिना पेड़ों और कड़ियाँ बिना शहतीरों के अच्छी नहीं प्रतीत होतीं और ना माँ बिना बेटे के भली लगती है चाहे आभूषणों से लदी हो

बीस पचीस के अंदर में जो पूत सपूत हुआ सो हुआ, मात पिता मुकनारन को जो गया न गया सो कहीं न गया

बीस पचीस वर्ष की आयु तक लड़का अच्छा बन सकता है

बीस पचीस के अंदर में जो पूत सपूत हुआ सो हुआ, मात पिता कल्तारन को जो गया न गया सो कहीं न गया

बीस पचीस वर्ष की आयु तक लड़का अच्छा बन सकता है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में दूध में दूध पूत में पूत के अर्थदेखिए

दूध में दूध पूत में पूत

duudh me.n duudh puut me.n puutدُودھ میں دُودھ پُوت میں پُوت

कहावत

दूध में दूध पूत में पूत के हिंदी अर्थ

  • अच्छे से अच्छा , ज़्यादा से ज़्यादा

دُودھ میں دُودھ پُوت میں پُوت کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • اچھے سے اچھا , زیادہ سے زیادہ.

Urdu meaning of duudh me.n duudh puut me.n puut

  • Roman
  • Urdu

  • achchhe se achchhaa, zyaadaa se zyaadaa

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दूध में दूध पूत में पूत

अच्छे से अच्छा , ज़्यादा से ज़्यादा

दूध-पूत

मवेशी

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बाल-बच्चे वाली, नसीब वाली

दूध-पूत वाला

آل اولاد اور دھن دولت والا / والی، صاحبِ نصیب .

दूध-पूत क़िस्मत से

संतान एवं धन दोनों किसी अत्यंत भाग्यवान के पास होते हैं

दूध में मक्खी

किसी अच्छी चीज़ में बुरी चीज़ पैदा हो जाना

दूध में काला होना

संदेह होना, डर या भय होना

पिस्तानों में दूध उतरना

बच्चे की जन्म के बाद छातियों में दूध का पैदा हो जाना

छाती में दूध उतरना

औरत की छातीयों में दूध भर आना , मुहब्बत का जज़बा उभर आना

माँ खेत में, पूत जनेत में

माँ खेत में और बेटा बरात में, नीच माँ का ऊंचा बेटा (ये एक पहेली भी है और इसकी समझ केसर है)

छाती में दूध उतर आना

औरत की छातियों में दूध भर आना, मुहब्बत का जज़्बा उभर आना

बाप पेट में पूत ब्याहने चला

बेटा बाप से बढ़ गया

पालने में पूत के पाँव पहँचानना

बचपन ही में अंदाज़ा लगा लेना कि बच्चे की उठान किस किस्म की होगी, बच्चे की हरकात-ओ-सकनात से ताड़ लेना कि होनहार है कि नहीं, आग़ाज़ से अंजाम का अंदाज़ लगाना

बाप पेट में पूत ब्याहे चला

बेटा बाप से बढ़ गया

पालने में पूत के पाँव पहचानना

to recognize the talents of a child while he/ she is very young

दूध में की मक्खी किस ने चक्खी

ख़राब वस्तु का कोई उपयोग नहीं करता

पठान का पूत, घड़ी में औलिया घड़ी में भूत

यह कहावत अस्थिर चित्त दिखाने के लिए कहते हैं, ऐसे व्यक्ति के लिए जिसकी मानसिक स्थिति घड़ी-घड़ी बदलती रहे

मुग़ल का पूत घड़ी में औलिया घड़ी में भूत

रुक : पठान का पोत घड़ी में औलिया और घड़ी में भूत जो ज़्यादा मुस्तामल है

बाप के गले में मोगरे, पूत के गले में रुद्राक्ष

नव-धनी के प्रति कहते हैं कि बाप तो लकड़ी का हार पहनता था परंतु बेटा जवाहरात का कंठा पहनता है

छलनी में दूध दूहें कर्ग को रोएँ

हमाक़त का काम ख़ुद करें और तक़दीर को इल्ज़ाम दें, ख़ुद ही ग़लती करे तो क़िस्मत का क्या क़सूर

पूत कपूत पंगोड़ों में ही पहचाने जाते हैं

बच्चे में शुरू से अच्छे या बुरे होने के आसार पाए जाते हैं

मेहर तो बहुत है पर छातियों में दूध नहीं

ज़बानी आवभगत है देने लेने को कुछ नहीं

छलनी में दूध दूहें कर्ग का क्या दोश

हमाक़त का काम ख़ुद करें और तक़दीर को इल्ज़ाम दें, ख़ुद ही ग़लती करे तो क़िस्मत का क्या क़सूर

मियो का पूत बारा बरस में बदला लेता है

मेव लोग इंतिक़ाम लेकर रहते हैं, ख़ाह देर में ही

पूत के पाँव पालने में ही पहचाने जाते हैं

(किसी किये) बुराई भलाई शुरू ही में आसार से दरयाफ़त करली जाती है, नेक बुख़ती बदबख़ती का हाल बचपन या आग़ाज़ ही में हरकात-ओ-सकनात से खुल जाता है

पूत के पाँव पालने में दिखाई देने लगते हैं

signs of future character are visible in childhood, coming events cast their shadow

दूध में मिठास मिलाओ तो और भी मज़ा देगा

किसी अच्छी चीज़ में दूसरी अच्छी चीज़ मिलाना अच्छा होता है, दो बेहतर चीज़ों से बेहतरीन का हुसूल होता है . अच्छे ख़ानदानों का मेल बेहतर होता है

दूध में की मक्खी कसी ने न चखी

नालायक़ को कोई पसंद नहीं करता, ख़राब चीज़ कोई इस्तिमाल नहीं करता

जैसे दूध में से मक्खी निकाल कर फेंक देते हैं

किसी को मुआमले से ना काम या अलग कर देने के मौक़ा पर कहते हैं

निन्नानवे घड़े दूध में एक घड़ा पानी क्या पहचाना जावे

बहुत सी चीज़ में अगर एक घड़ा थोड़ी सी ख़राब चीज़ का मिला दो तो पता नहीं चलता , ज़्यादा माल में थोड़ासा ख़राब भी हो तो पहचाना नहीं जा सकता

दूध में से मक्खी की तरह निकाल कर फेंक देना

दूध की मक्खी जैसे हस्तक्षेप करने वाले व्यक्ति का बहिष्कार कर देना

भैंस कहे गुन मेरा पूरा मेरा दूध पी होवे सूरा, जिस के घर में बँध जाऊँ दूध दही की नाल बहाऊँ

भैंस की प्रशंसा है कि जिस घर में भैंस होती है वहाँ दूध दही की कमी नहीं होती

आप मिले सो दूध बराबर माँगे मिले सो पानी, कहे कबीर वो रक्त बराबर जा में ईंचा-तानी

बिना सवाल के आवश्यकता पूरी हो तो क्या कहना और माँगने की आवश्यकता पड़े तो आनंद नहीं आता

रूख बिना ना नगरी सोहे बिन बरगन ना कड़ियाँ, पूत बिना ना माता सोहे लख सोने में जड़ियाँ

शहर बिना पेड़ों और कड़ियाँ बिना शहतीरों के अच्छी नहीं प्रतीत होतीं और ना माँ बिना बेटे के भली लगती है चाहे आभूषणों से लदी हो

बीस पचीस के अंदर में जो पूत सपूत हुआ सो हुआ, मात पिता मुकनारन को जो गया न गया सो कहीं न गया

बीस पचीस वर्ष की आयु तक लड़का अच्छा बन सकता है

बीस पचीस के अंदर में जो पूत सपूत हुआ सो हुआ, मात पिता कल्तारन को जो गया न गया सो कहीं न गया

बीस पचीस वर्ष की आयु तक लड़का अच्छा बन सकता है

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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