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पड़ें पटाक

(ओ) किसी काम या चीज़ के बिगड़ने पर औरतें ग़ुस्से में बोलती हैं

पड़ें पत्थर

(ओ) किसी काम के बिगड़ने या बात के ना पसंद होने पर औरतें ग़ुस्से में बोलती हैं

पत्थर पड़ें

(कोसना) ख़ुदा का क़हर नाज़िल हो, ग़ारत हो, ख़ाक में मिले, उजड़ जाये

ज़बान में कीड़े पड़ें

(श्राप) ज़बान गल सड़ जाये

क़ब्र में कीड़े पड़ें

(श्राप) क़ब्र में तकलीफ़ हो

गोर में कीड़े पड़ें

(बद दुआ) अज़ाब-ए-क़ब्र में मुबतला हो, जहन्नुम रसीद हो

'अक़्ल पर पत्थर पड़ें

जानते हुए नासमझी की बातें करना, बेवक़ूफ़ी के मौक़े पर कोसने के तौर पर यह कहते हैं

आग का दरिया हो कूद पड़ें

निडरता स्पष्ट करने को कहते हैं

समझ पर पत्थर पड़ें

अक़्ल बर्बाद हो, ऐसी अक़्ल पर थू है (जब कोई मूर्खतापूर्ण काम करता है या नासमझी की बात कहता है तब कहते हैं)

याद पर पत्थर पड़ें

ख़राब हाफ़िज़े को कोसने के समय प्रयुक्त

कब मरै, कब कीड़े पड़ें

बहुत लंबा काम है, जल्दी नहीं हो सकता

कब मरे और कब कीड़े पड़ें

बहुत लंबा काम है, जल्दी नहीं हो सकता

गू में ढेला डालें न छींटें पड़ें

न दुष्ट या कमीने आदमी से मुक़ाबला न अपमानित हों

गूह में ढेला डालें न छींटें पड़ें

रुक : गाह में ढीला फेंको ना छींटें उड़ीं

पेट पड़ें रोटियाँ तो सभी गलाँ मोटियाँ

जब आदमी दौलतमंद हो जाये तो इस में बहुत सी बातें आजाती हैं, मआशी बेफ़िकरी में ख़ूब बातें सूझती हैं

साझे के चने, दुखती आँख चाहने पड़ें

साझेदारी या शराकत का काम हर हालत में करना पड़ता है, शराकत का नुकसान फ़रीक़ैन को उठाना ही पड़ता है

ना गूह में ढेला डालो, न छींटें पड़ें

ना बुरुँ से मेल जोल रखू ना तुम पर हर्फ़ आए, ना बुरुँ के मुँह लगू ना बरी बातें सुनो

गू में ढेला डाले न छींटें पड़ें

न दुष्ट या कमीने आदमी से मुक़ाबला न अपमानित हों

न गूह में ढेला डालो, न छींटें पड़ें

ना बुरुँ से मेल जोल रखू ना तुम पर हर्फ़ आए, ना बुरुँ के मुँह लगू ना बरी बातें सुनो

गू में ढेला फेंक न छींटें पड़ें

न दुष्ट या कमीने आदमी से मुक़ाबला न अपमानित हों

न गू में ईंट डालो, न छीटें पड़ें

ना बुरुँ से मेल जोल रखू ना तुम पर हर्फ़ आए, ना बुरुँ के मुँह लगू ना बरी बातें सुनो

साझे के चने, आँखें दुखते में भी खाने पड़ें

साझेदारी या शराकत का काम हर हालत में करना पड़ता है, शराकत का नुकसान फ़रीक़ैन को उठाना ही पड़ता है

गू में न ढेला डाले न छींटे पड़ें

न दुष्ट या कमीने आदमी से मुक़ाबला न अपमानित हों

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में पड़ें के अर्थदेखिए

पड़ें

pa.De.nپڑیں

वज़्न : 12

पड़ें के हिंदी अर्थ

  • पड़ा होना

शे'र

English meaning of pa.De.n

Urdu meaning of pa.De.n

  • Roman
  • Urdu

पड़ें के अंत्यानुप्रास शब्द

खोजे गए शब्द से संबंधित

पड़ें पटाक

(ओ) किसी काम या चीज़ के बिगड़ने पर औरतें ग़ुस्से में बोलती हैं

पड़ें पत्थर

(ओ) किसी काम के बिगड़ने या बात के ना पसंद होने पर औरतें ग़ुस्से में बोलती हैं

पत्थर पड़ें

(कोसना) ख़ुदा का क़हर नाज़िल हो, ग़ारत हो, ख़ाक में मिले, उजड़ जाये

ज़बान में कीड़े पड़ें

(श्राप) ज़बान गल सड़ जाये

क़ब्र में कीड़े पड़ें

(श्राप) क़ब्र में तकलीफ़ हो

गोर में कीड़े पड़ें

(बद दुआ) अज़ाब-ए-क़ब्र में मुबतला हो, जहन्नुम रसीद हो

'अक़्ल पर पत्थर पड़ें

जानते हुए नासमझी की बातें करना, बेवक़ूफ़ी के मौक़े पर कोसने के तौर पर यह कहते हैं

आग का दरिया हो कूद पड़ें

निडरता स्पष्ट करने को कहते हैं

समझ पर पत्थर पड़ें

अक़्ल बर्बाद हो, ऐसी अक़्ल पर थू है (जब कोई मूर्खतापूर्ण काम करता है या नासमझी की बात कहता है तब कहते हैं)

याद पर पत्थर पड़ें

ख़राब हाफ़िज़े को कोसने के समय प्रयुक्त

कब मरै, कब कीड़े पड़ें

बहुत लंबा काम है, जल्दी नहीं हो सकता

कब मरे और कब कीड़े पड़ें

बहुत लंबा काम है, जल्दी नहीं हो सकता

गू में ढेला डालें न छींटें पड़ें

न दुष्ट या कमीने आदमी से मुक़ाबला न अपमानित हों

गूह में ढेला डालें न छींटें पड़ें

रुक : गाह में ढीला फेंको ना छींटें उड़ीं

पेट पड़ें रोटियाँ तो सभी गलाँ मोटियाँ

जब आदमी दौलतमंद हो जाये तो इस में बहुत सी बातें आजाती हैं, मआशी बेफ़िकरी में ख़ूब बातें सूझती हैं

साझे के चने, दुखती आँख चाहने पड़ें

साझेदारी या शराकत का काम हर हालत में करना पड़ता है, शराकत का नुकसान फ़रीक़ैन को उठाना ही पड़ता है

ना गूह में ढेला डालो, न छींटें पड़ें

ना बुरुँ से मेल जोल रखू ना तुम पर हर्फ़ आए, ना बुरुँ के मुँह लगू ना बरी बातें सुनो

गू में ढेला डाले न छींटें पड़ें

न दुष्ट या कमीने आदमी से मुक़ाबला न अपमानित हों

न गूह में ढेला डालो, न छींटें पड़ें

ना बुरुँ से मेल जोल रखू ना तुम पर हर्फ़ आए, ना बुरुँ के मुँह लगू ना बरी बातें सुनो

गू में ढेला फेंक न छींटें पड़ें

न दुष्ट या कमीने आदमी से मुक़ाबला न अपमानित हों

न गू में ईंट डालो, न छीटें पड़ें

ना बुरुँ से मेल जोल रखू ना तुम पर हर्फ़ आए, ना बुरुँ के मुँह लगू ना बरी बातें सुनो

साझे के चने, आँखें दुखते में भी खाने पड़ें

साझेदारी या शराकत का काम हर हालत में करना पड़ता है, शराकत का नुकसान फ़रीक़ैन को उठाना ही पड़ता है

गू में न ढेला डाले न छींटे पड़ें

न दुष्ट या कमीने आदमी से मुक़ाबला न अपमानित हों

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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