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तो-तो तालों से लगना

(ओ) मुंह बंद रहना, ख़ामोश रहना

मुँह से तो कहो

ख़ामोश या शांत क्यों हो, बयान तो करो, बात तो कहो, ज़बान तो हिलाओ

खाएँ तो घी से नहीं तो जाएँ जी से

ज़िद्दी और हटीले आदमी के मुताल्लिक़ कहते हैं, हो तो अच्छा हो नहीं तो भूका मरना मंज़ूर

खाए तो घी से, नहीं तो जाए जी से

ऐसे लोगों पर व्यंग है जो अपने स्वाभिमान के आगे जान की हानि गवारा करें

'औरत रहे तो आप से, नहीं तो जाय सगे बाप से

स्त्री किसी के वश में नहीं रह सकती, अगर दुश्चरित्र हो जाए तो बाप की भी परवाह नहीं करती

'औरत रहे तो आप से नहीं तो सगे बाप से

स्त्री किसी के वश में नहीं रह सकती, अगर दुश्चरित्र हो जाए तो बाप की भी परवाह नहीं करती

कूटो तो चूना, नहीं तो ख़ाक से दूना

चूना जितना अदिक कूटा जाएगा उतना ही मज़बूत होगा, इसी तरह जितनी मेहनत की जाए मेहनत से उतना ही लाभ हो सकता है

रही तो आप से गई तो सगे बाप से

रुक : ''रहे तो आप से और ना रहे तो सगे बाप से''

अपने से बचे तो और को दें

पहले हक़ स्वजनों का है बाद में दूसरों का

कुटनी से तो राम बचावे, प्यारी से तो पत उतरावे

कुटनी से ईश्वर बचाए यह प्रेमी से भी अपमान कराती है

रक्खा तो चश्मों से, उड़ा दिया तो पश्मों से

यदि उपकार किया और नौकर रक्खा तो उनकी कृपा है नहीं तो कुछ परवाह नहीं

घर से खोया तो आँखे खुलीं

कुछ खो कर अनुभव प्राप्त होता है

खाओ तो कद्दू से , ना खाओ तो कद्दू से

(ओ) यही है खाओ तो ना खाओ तो यानी खाओ या ना खाओ हमें कुछ पर्वा नहीं

आग लगे तो बुझे जल से जल में लगे तो बुझे कैसे

बच्चे को तो ठीक किया जा सकता है एक आदतन अपराधी को किसी भी तरह से वश में नहीं किया जा सकता

रहे तो टेक से, जाए तो जड़ बेख़ से

इज़्ज़त से रहना चाहिए या तबाह हो जाना चाहिए

रहे तो नेग से, जाए तो जड़ बेख़ से

इज़्ज़त से रहना चाहिए या तबाह हो जाना चाहिए

कर तो कर नहीं तो ख़ुदा के ग़ज़ब से डर

۔مثل۔ جب کسی بے گناہ پر کوئی الزام ہو تو یہ مثل بولتےہیں۔ یعنی خدا تعالیٰ سے ہر وقت پناہ مانگنا چاہئے۔

तुझ से फिरे तो ख़ुदा से फिरे

۔مقولہ۔ یہ فقرہ قَسَم یا عہد کے موقع پر مستعمل ہے۔ یعنی تجھ سے وفا نہ کرے تو کافر ہو۔ ؎ تجھ کی جگہ۔ اُس۔ تم۔ بھی کہتے ہیں۔

तुम से फिरे तो ख़ुदा से फिरे

۔مقولہ۔ ایک طرح کی سخت قَسم اور واثق عہد ہے۔ یعنی تم سے برگشتہ ہونا خدا سے خلاف ہوجانے کے برابر ہے۔

कर तो कर , नहीं तो ख़ुदा के ग़ज़ब से डर

रुक : कर तो डरना तो डर

सर से लगी तो तलवों में बुझी

अत्यधिक क्रोध आया

या तो खाएँगे घी से या जाएँगे जी से

ऐसे मौक़े पर प्रयुक्त जब कोई ज़िद करे कि या तो सर्वश्रेष्ठ चीज़ मिले या फिर कुछ भी नहीं चाहिए

घर से लड़कर तो नहीं चले

कोई ज़बरदस्ती बिगड़ता और जघड़ता है और ख़्वाहमख़्वाह किसी के सर होता है तो ये जुमला कहते हैं

घर से खोएँ तो आँखें रोएँ

नुक़्सान उठा कर तजुर्बा होता है, कुछ खो के अक़ल आती है

खाएँ तो घी से नहीं जाएँ जी से

أمثل۔ ہو تو اچھا ہو نہیں تو بھوٗکا مرنا منظور ہے۔

तुझ से फिरे तो वो ख़ुदा से फिरे

कुसुम या अह्द के मौक़ा पर बोलते हैं यानी तेरे ख़िलाफ़ करूं तो गोया अपने ख़ुदा के ख़िलाफ़ करूं

गुड़ से मरे तो ज़हर से क्यों मारे

जो काम नरमी से निकले तो उस में सख़्ती क्यूँ की जाये अथवा मिठास से काम चल जाए तो सख़्ती क्यूँ की जाए

खाए तो घी से, नहीं जाए जी से

ऐसे लोगों पर व्यंग है जो अपने स्वाभिमान के आगे जान की हानि गवारा करें

आँख ही फूटी तो भौं से क्या काम

जो बात या विषय ही संबंध का कारण था जब वही न रहा तो फिर संबंध कैसा, जड़ न हो तो शाख़ें बेकार हैं

भादों से बचे तो फिर मिलेंगे

जीवित रहेंगे तो फिर भेंट होगी

कर तो डर न , कर तो ख़ुदा के ग़ज़ब से डर

रुक : कर तो तोड़ ना कर तो डर

'औरत आप से, नहीं तो सगे बाप से

औरत की पवित्रता उसकी ख़ुद की प्रकृति से होती है, किसी की धमकी या सलाह पर आधारित नहीं होती

गुड़ से जो मरे तो ज़हर क्यों दो

रुक: गुड़ दिए मरे अलख

गुड़ से जो मरे तो ज़हर क्यों दे

रुक: गुड़ दिए मरे अलख

चोर चोरी से गया तो क्या हेरा फेरी से भी गया

बुरी 'आदत नहीं जाती

गुड़ से मरे तो ज़हर उसे क्यूँ दे

जो काम नरमी से निकले तो उस में सख़्ती क्यूँ की जाये अथवा मिठास से काम चल जाए तो सख़्ती क्यूँ की जाए

बकरी से हल जुतता तो बैल कौन रखता

यदि यूँ ही काम हो जाए तो मेहनत या ख़र्च कौन करता

हाथों से खुले तो दाँत क्यों लगाइए

जो काम आसानी से निकले इस में दिक्कत उठाने की क्या ज़रूरत है

पाँव से लगी तो सर में बुझी

became extremely incensed

लुगाई रहे तो आप से नहीं जाए बाप से

अगर औरत बुरे आचरण की हो जाए तो किसी से रुक नहीं सकती

लगाई रहे तो आप से, नहीं जाए बाप से

स्त्री किसी के वश में नहीं रह सकती, अगर दुश्चरित्र हो जाए तो बाप की भी परवाह नहीं करती

मीठे से मरे तो ज़हर क्यों दे

अगर मीठी-मीठी बातों से काम निकाला जा सकता है तो ज़बरदस्ती नहीं करनी चाहिए

लगे आग तो बूझे जल से, जल में लगे तो बूझे कहो कैसे

जब मदद करने वाला ख़ुद मुसीबत में गिरफ़्तार हो तो कौन मदद करे

आग लगे तो बुझे जल से, जल में लगे तो बुझे कहो कैसे

उस अवसर पर बोलते हैं जहाँ वह व्यक्ति जिससे विनति सुनने की उम्मीद हो अत्याचार करे

लगे आग तो बुझे जल से, जल में लगे तो बुझे कहो कैसे

जब मदद करने वाला ख़ुद मुसीबत में गिरफ़्तार हो तो कौन मदद करे

आँख में शर्म हो तो दरिया से भारी है

लाज और शर्म से बहुत प्रतिष्ठा एवं सम्मान होता है

आप से आए तो आने दो

जो वस्तु स्वयं से या बिना माँगे मिले ले लेनी चाहिए, इस अवसर पर प्रयोग जहाँ किसी का माल बिना प्रयत्न के हाथ लगे और लेने वाला लालच से लेने का निश्चय करे

आप से आए तो आने दे

किसी अवैध वस्तु या बात को व्याख्या द्वारा वैध घोषित कर देने पर कहते है

दरख़्त से गिरा तो झाड़ में अटका

रुक : आसमान से गृह तो खजूओर माँ अट जो ज़्यादा मुस्तामल है

कूटो तो चूना, नहीं, ख़ाक से दूना

चूना जितना अदिक कूटा जाएगा उतना ही मज़बूत होगा, इसी तरह जितनी मेहनत की जाए मेहनत से उतना ही लाभ हो सकता है

मैं तो उन के रग-ओ-रेशे से वाक़िफ़ हूँ

मैं उनके हालात अच्छी तरह जानता हूँ

आँख फूटेगी तो क्या भौं से देखेंगे

ये वहाँ बोलते हैं जहाँ ये कहना होता है कि जो वस्तु जिस काम के लिए बनाई गयी है वह काम उसी से निकलता है

गधों से हल चलें तो बैल क्यूँ बिसाएँ

अगर नादानोन से हुनरमंद वन का काम निकले तो हुनरमंदों को कौन पूछे

ऐड़ी से लगी तो चोटी में आन बुझी

मारे ग़ुस्से के तन बदन में आग लग गई, बहुत ग़ुस्सा आया

गाँव मरा बला से , हाथी तो देखा

ज़रा से नफ़ा या शौक़ के लिए बड़े नुक़्सान की पर्वा नहीं है, ज़रा से नफ़ा के वास्ते बहुत सा नुक़्सान बर्दाश्त करना

ख़ुदा को देखा नहीं तो 'अक़्ल से पहचाना

हर जगह ग़लत नहीं होता, बुद्धि से बहुत कुछ बातें समझ में आ जाती हैं

गूड़ से जो मरे तो ज़हर क्यों दीजिये

जब नरमी से काम निकले तो सख़्ती की क्या ज़रूरत है

'औरत रहे तो आप से, नहीं जाए सगे बाप से

स्त्री किसी के वश में नहीं रह सकती, अगर दुश्चरित्र हो जाए तो बाप की भी परवाह नहीं करती

टूटी है तो किसी से जुड़ी नहीं और जुड़ी है तो कोई तोड़ सकता नहीं

बीमार आदमी को सांत्वना देने के लिए कहते हैं

जोगी का लड़का खेलेगा तो साँप से

हर कोई अपनी प्रशिक्षण के अनुसार काम करता है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में तो-तो तालों से लगना के अर्थदेखिए

तो-तो तालों से लगना

to-to taalo.n se lagnaaتو تو تالوں سے لَگْنا

मुहावरा

तो-तो तालों से लगना के हिंदी अर्थ

  • (ओ) मुंह बंद रहना, ख़ामोश रहना

تو تو تالوں سے لَگْنا کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • (عو) من٘ھ بند رہنا، خاموش رہنا.

Urdu meaning of to-to taalo.n se lagnaa

  • Roman
  • Urdu

  • (o) munh band rahnaa, Khaamosh rahnaa

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तो-तो तालों से लगना

(ओ) मुंह बंद रहना, ख़ामोश रहना

मुँह से तो कहो

ख़ामोश या शांत क्यों हो, बयान तो करो, बात तो कहो, ज़बान तो हिलाओ

खाएँ तो घी से नहीं तो जाएँ जी से

ज़िद्दी और हटीले आदमी के मुताल्लिक़ कहते हैं, हो तो अच्छा हो नहीं तो भूका मरना मंज़ूर

खाए तो घी से, नहीं तो जाए जी से

ऐसे लोगों पर व्यंग है जो अपने स्वाभिमान के आगे जान की हानि गवारा करें

'औरत रहे तो आप से, नहीं तो जाय सगे बाप से

स्त्री किसी के वश में नहीं रह सकती, अगर दुश्चरित्र हो जाए तो बाप की भी परवाह नहीं करती

'औरत रहे तो आप से नहीं तो सगे बाप से

स्त्री किसी के वश में नहीं रह सकती, अगर दुश्चरित्र हो जाए तो बाप की भी परवाह नहीं करती

कूटो तो चूना, नहीं तो ख़ाक से दूना

चूना जितना अदिक कूटा जाएगा उतना ही मज़बूत होगा, इसी तरह जितनी मेहनत की जाए मेहनत से उतना ही लाभ हो सकता है

रही तो आप से गई तो सगे बाप से

रुक : ''रहे तो आप से और ना रहे तो सगे बाप से''

अपने से बचे तो और को दें

पहले हक़ स्वजनों का है बाद में दूसरों का

कुटनी से तो राम बचावे, प्यारी से तो पत उतरावे

कुटनी से ईश्वर बचाए यह प्रेमी से भी अपमान कराती है

रक्खा तो चश्मों से, उड़ा दिया तो पश्मों से

यदि उपकार किया और नौकर रक्खा तो उनकी कृपा है नहीं तो कुछ परवाह नहीं

घर से खोया तो आँखे खुलीं

कुछ खो कर अनुभव प्राप्त होता है

खाओ तो कद्दू से , ना खाओ तो कद्दू से

(ओ) यही है खाओ तो ना खाओ तो यानी खाओ या ना खाओ हमें कुछ पर्वा नहीं

आग लगे तो बुझे जल से जल में लगे तो बुझे कैसे

बच्चे को तो ठीक किया जा सकता है एक आदतन अपराधी को किसी भी तरह से वश में नहीं किया जा सकता

रहे तो टेक से, जाए तो जड़ बेख़ से

इज़्ज़त से रहना चाहिए या तबाह हो जाना चाहिए

रहे तो नेग से, जाए तो जड़ बेख़ से

इज़्ज़त से रहना चाहिए या तबाह हो जाना चाहिए

कर तो कर नहीं तो ख़ुदा के ग़ज़ब से डर

۔مثل۔ جب کسی بے گناہ پر کوئی الزام ہو تو یہ مثل بولتےہیں۔ یعنی خدا تعالیٰ سے ہر وقت پناہ مانگنا چاہئے۔

तुझ से फिरे तो ख़ुदा से फिरे

۔مقولہ۔ یہ فقرہ قَسَم یا عہد کے موقع پر مستعمل ہے۔ یعنی تجھ سے وفا نہ کرے تو کافر ہو۔ ؎ تجھ کی جگہ۔ اُس۔ تم۔ بھی کہتے ہیں۔

तुम से फिरे तो ख़ुदा से फिरे

۔مقولہ۔ ایک طرح کی سخت قَسم اور واثق عہد ہے۔ یعنی تم سے برگشتہ ہونا خدا سے خلاف ہوجانے کے برابر ہے۔

कर तो कर , नहीं तो ख़ुदा के ग़ज़ब से डर

रुक : कर तो डरना तो डर

सर से लगी तो तलवों में बुझी

अत्यधिक क्रोध आया

या तो खाएँगे घी से या जाएँगे जी से

ऐसे मौक़े पर प्रयुक्त जब कोई ज़िद करे कि या तो सर्वश्रेष्ठ चीज़ मिले या फिर कुछ भी नहीं चाहिए

घर से लड़कर तो नहीं चले

कोई ज़बरदस्ती बिगड़ता और जघड़ता है और ख़्वाहमख़्वाह किसी के सर होता है तो ये जुमला कहते हैं

घर से खोएँ तो आँखें रोएँ

नुक़्सान उठा कर तजुर्बा होता है, कुछ खो के अक़ल आती है

खाएँ तो घी से नहीं जाएँ जी से

أمثل۔ ہو تو اچھا ہو نہیں تو بھوٗکا مرنا منظور ہے۔

तुझ से फिरे तो वो ख़ुदा से फिरे

कुसुम या अह्द के मौक़ा पर बोलते हैं यानी तेरे ख़िलाफ़ करूं तो गोया अपने ख़ुदा के ख़िलाफ़ करूं

गुड़ से मरे तो ज़हर से क्यों मारे

जो काम नरमी से निकले तो उस में सख़्ती क्यूँ की जाये अथवा मिठास से काम चल जाए तो सख़्ती क्यूँ की जाए

खाए तो घी से, नहीं जाए जी से

ऐसे लोगों पर व्यंग है जो अपने स्वाभिमान के आगे जान की हानि गवारा करें

आँख ही फूटी तो भौं से क्या काम

जो बात या विषय ही संबंध का कारण था जब वही न रहा तो फिर संबंध कैसा, जड़ न हो तो शाख़ें बेकार हैं

भादों से बचे तो फिर मिलेंगे

जीवित रहेंगे तो फिर भेंट होगी

कर तो डर न , कर तो ख़ुदा के ग़ज़ब से डर

रुक : कर तो तोड़ ना कर तो डर

'औरत आप से, नहीं तो सगे बाप से

औरत की पवित्रता उसकी ख़ुद की प्रकृति से होती है, किसी की धमकी या सलाह पर आधारित नहीं होती

गुड़ से जो मरे तो ज़हर क्यों दो

रुक: गुड़ दिए मरे अलख

गुड़ से जो मरे तो ज़हर क्यों दे

रुक: गुड़ दिए मरे अलख

चोर चोरी से गया तो क्या हेरा फेरी से भी गया

बुरी 'आदत नहीं जाती

गुड़ से मरे तो ज़हर उसे क्यूँ दे

जो काम नरमी से निकले तो उस में सख़्ती क्यूँ की जाये अथवा मिठास से काम चल जाए तो सख़्ती क्यूँ की जाए

बकरी से हल जुतता तो बैल कौन रखता

यदि यूँ ही काम हो जाए तो मेहनत या ख़र्च कौन करता

हाथों से खुले तो दाँत क्यों लगाइए

जो काम आसानी से निकले इस में दिक्कत उठाने की क्या ज़रूरत है

पाँव से लगी तो सर में बुझी

became extremely incensed

लुगाई रहे तो आप से नहीं जाए बाप से

अगर औरत बुरे आचरण की हो जाए तो किसी से रुक नहीं सकती

लगाई रहे तो आप से, नहीं जाए बाप से

स्त्री किसी के वश में नहीं रह सकती, अगर दुश्चरित्र हो जाए तो बाप की भी परवाह नहीं करती

मीठे से मरे तो ज़हर क्यों दे

अगर मीठी-मीठी बातों से काम निकाला जा सकता है तो ज़बरदस्ती नहीं करनी चाहिए

लगे आग तो बूझे जल से, जल में लगे तो बूझे कहो कैसे

जब मदद करने वाला ख़ुद मुसीबत में गिरफ़्तार हो तो कौन मदद करे

आग लगे तो बुझे जल से, जल में लगे तो बुझे कहो कैसे

उस अवसर पर बोलते हैं जहाँ वह व्यक्ति जिससे विनति सुनने की उम्मीद हो अत्याचार करे

लगे आग तो बुझे जल से, जल में लगे तो बुझे कहो कैसे

जब मदद करने वाला ख़ुद मुसीबत में गिरफ़्तार हो तो कौन मदद करे

आँख में शर्म हो तो दरिया से भारी है

लाज और शर्म से बहुत प्रतिष्ठा एवं सम्मान होता है

आप से आए तो आने दो

जो वस्तु स्वयं से या बिना माँगे मिले ले लेनी चाहिए, इस अवसर पर प्रयोग जहाँ किसी का माल बिना प्रयत्न के हाथ लगे और लेने वाला लालच से लेने का निश्चय करे

आप से आए तो आने दे

किसी अवैध वस्तु या बात को व्याख्या द्वारा वैध घोषित कर देने पर कहते है

दरख़्त से गिरा तो झाड़ में अटका

रुक : आसमान से गृह तो खजूओर माँ अट जो ज़्यादा मुस्तामल है

कूटो तो चूना, नहीं, ख़ाक से दूना

चूना जितना अदिक कूटा जाएगा उतना ही मज़बूत होगा, इसी तरह जितनी मेहनत की जाए मेहनत से उतना ही लाभ हो सकता है

मैं तो उन के रग-ओ-रेशे से वाक़िफ़ हूँ

मैं उनके हालात अच्छी तरह जानता हूँ

आँख फूटेगी तो क्या भौं से देखेंगे

ये वहाँ बोलते हैं जहाँ ये कहना होता है कि जो वस्तु जिस काम के लिए बनाई गयी है वह काम उसी से निकलता है

गधों से हल चलें तो बैल क्यूँ बिसाएँ

अगर नादानोन से हुनरमंद वन का काम निकले तो हुनरमंदों को कौन पूछे

ऐड़ी से लगी तो चोटी में आन बुझी

मारे ग़ुस्से के तन बदन में आग लग गई, बहुत ग़ुस्सा आया

गाँव मरा बला से , हाथी तो देखा

ज़रा से नफ़ा या शौक़ के लिए बड़े नुक़्सान की पर्वा नहीं है, ज़रा से नफ़ा के वास्ते बहुत सा नुक़्सान बर्दाश्त करना

ख़ुदा को देखा नहीं तो 'अक़्ल से पहचाना

हर जगह ग़लत नहीं होता, बुद्धि से बहुत कुछ बातें समझ में आ जाती हैं

गूड़ से जो मरे तो ज़हर क्यों दीजिये

जब नरमी से काम निकले तो सख़्ती की क्या ज़रूरत है

'औरत रहे तो आप से, नहीं जाए सगे बाप से

स्त्री किसी के वश में नहीं रह सकती, अगर दुश्चरित्र हो जाए तो बाप की भी परवाह नहीं करती

टूटी है तो किसी से जुड़ी नहीं और जुड़ी है तो कोई तोड़ सकता नहीं

बीमार आदमी को सांत्वना देने के लिए कहते हैं

जोगी का लड़का खेलेगा तो साँप से

हर कोई अपनी प्रशिक्षण के अनुसार काम करता है

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