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घर के रहे न बार के

रुक : घर के रहे ना दर के

घर के रहे न दर के

घर का रहना न बाहर का, कहीं का न रहना

घर के हुए न दर के

कहीं के न रहे

न दीन के रहे , ना दुनिया के

कहीं का न रहना, हर दो स्थितियों में नुक़सान हो तो कहते हैं

न ख़ुदा ही मिला न विसाल-ए-सनम, न इधर के रहे न उधर के रहे

ऐसा काम किया गया कि हर तरह हानि हुई, कोई काम पूरा नहीं हुआ

घर रहे न तीरथ गए मूँड मूँडा के जोगी भए

किसी काम के न रहे सारी मेहनत बेकार गई, मुफ़्त का अपमान हुआ लाभ कोई न हुआ

घर के ही न घेरते

किसी लायक़ होते तो अपना ही काम/नाम ना सँभालते

कुत्ता पाले वो कुत्ता, सासुरे जवाई कुत्ता, बहन के घर भाई कुत्ता,सब कुत्तों का वो सरदार जो रहे बेटी के बार

कुत्ता पालने वाला, ससुराल में रहने वाला और बहन के घर रहने वाला भाई बहुत अपमानित हैं, सबसे तुच्छ एवं अपमानित वो है जो बेटी के घर रहे

बहन के घर भाई कुत्ता, सासुरे जमाई कुत्ता, कुत्ता पाले वह कुत्ता, सब कुत्तों का वह सरदार, जो बाप रहे बेटी के बार

बहन के घर भाई और ससुर के घर दामाद कुत्ते के बराबर है, जो व्यक्ति कुत्ता रक्खे वह भी कुत्ता है, परंतु सबसे बढ़कर कुत्ता वह व्यक्ति है जो अपनी बेटी के घर जा कर रहे

बनैनी पान दमड़ी के खाए घर रहे कि बाहर जाए

कंजूस थोड़े ख़र्च को बहुत समझता है

टके के पान बनेनी खाए, कहो घर रहे कि जाए

बनियों की कंजूसी पर व्यंग है

सूम के घर का कुत्ता, जाए न जाने दे

कंजूस के कारिंदे भी किसी को देख नहीं सकते

धड़ी के पान बनैनी खाए , कहो भाई घर रहे या जाए

बख़ील आदमी अदना ख़र्च से घबराता है

धोबी के घर पड़े चोर, वो न लुटा लुटे और

ज़ाहिर में नुक़सान किसी का और असल में किसी और का, धोबी की चोरी हो तो दूसरों का माल जाता है

घर के पास न फटकना

۔گھر کی طرف مطلق رُخ نہ کرنا۔

घर का और दिल का भेद हर एक के सामने न कहें

अपने दिल और घर की बात हर एक से नहीं कहनी चाहिए, गोपनीयता से काम लेना चाहिए

खाएँ पिएँ घर अपने, रहें ख़िज़्र के पास

मुफ़्त में किसी से ख़िदमत लेना

खाएँ पिएँ घर अपने, रहें ख़िज़्र के घाट

मुफ़्त में किसी से ख़िदमत लेना

चमगादड़ के घर आई चमगादड़ आ बुवा लटक रहें

बदों की सोहबत से नेकों पर आफ़त आती है बुरे नेकों के बहकाने और बिगाड़ने वाले होते हैं, जब किसी मेहमान को साहिब ख़ाना की वजह से बिप्ता उठानी पड़े यानी जो तकलीफ़ साहिब ख़ाना पर गुज़रे वही ये भी बर्दाश्त करे या रंज-ओ-तकलीफ़ पर क़नाअत करने पर भी कहते हैं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में घर के रहे न बार के के अर्थदेखिए

घर के रहे न बार के

ghar ke rahe na baar keگَھر کے رَہے نَہ بار کے

वाक्य

देखिए: घर के रहे न दर के

घर के रहे न बार के के हिंदी अर्थ

  • रुक : घर के रहे ना दर के

گَھر کے رَہے نَہ بار کے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • رک : گھر کے رہے نہ دَر کے.

Urdu meaning of ghar ke rahe na baar ke

  • Roman
  • Urdu

  • ruk ha ghar ke rahe na dar ke

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घर के रहे न बार के

रुक : घर के रहे ना दर के

घर के रहे न दर के

घर का रहना न बाहर का, कहीं का न रहना

घर के हुए न दर के

कहीं के न रहे

न दीन के रहे , ना दुनिया के

कहीं का न रहना, हर दो स्थितियों में नुक़सान हो तो कहते हैं

न ख़ुदा ही मिला न विसाल-ए-सनम, न इधर के रहे न उधर के रहे

ऐसा काम किया गया कि हर तरह हानि हुई, कोई काम पूरा नहीं हुआ

घर रहे न तीरथ गए मूँड मूँडा के जोगी भए

किसी काम के न रहे सारी मेहनत बेकार गई, मुफ़्त का अपमान हुआ लाभ कोई न हुआ

घर के ही न घेरते

किसी लायक़ होते तो अपना ही काम/नाम ना सँभालते

कुत्ता पाले वो कुत्ता, सासुरे जवाई कुत्ता, बहन के घर भाई कुत्ता,सब कुत्तों का वो सरदार जो रहे बेटी के बार

कुत्ता पालने वाला, ससुराल में रहने वाला और बहन के घर रहने वाला भाई बहुत अपमानित हैं, सबसे तुच्छ एवं अपमानित वो है जो बेटी के घर रहे

बहन के घर भाई कुत्ता, सासुरे जमाई कुत्ता, कुत्ता पाले वह कुत्ता, सब कुत्तों का वह सरदार, जो बाप रहे बेटी के बार

बहन के घर भाई और ससुर के घर दामाद कुत्ते के बराबर है, जो व्यक्ति कुत्ता रक्खे वह भी कुत्ता है, परंतु सबसे बढ़कर कुत्ता वह व्यक्ति है जो अपनी बेटी के घर जा कर रहे

बनैनी पान दमड़ी के खाए घर रहे कि बाहर जाए

कंजूस थोड़े ख़र्च को बहुत समझता है

टके के पान बनेनी खाए, कहो घर रहे कि जाए

बनियों की कंजूसी पर व्यंग है

सूम के घर का कुत्ता, जाए न जाने दे

कंजूस के कारिंदे भी किसी को देख नहीं सकते

धड़ी के पान बनैनी खाए , कहो भाई घर रहे या जाए

बख़ील आदमी अदना ख़र्च से घबराता है

धोबी के घर पड़े चोर, वो न लुटा लुटे और

ज़ाहिर में नुक़सान किसी का और असल में किसी और का, धोबी की चोरी हो तो दूसरों का माल जाता है

घर के पास न फटकना

۔گھر کی طرف مطلق رُخ نہ کرنا۔

घर का और दिल का भेद हर एक के सामने न कहें

अपने दिल और घर की बात हर एक से नहीं कहनी चाहिए, गोपनीयता से काम लेना चाहिए

खाएँ पिएँ घर अपने, रहें ख़िज़्र के पास

मुफ़्त में किसी से ख़िदमत लेना

खाएँ पिएँ घर अपने, रहें ख़िज़्र के घाट

मुफ़्त में किसी से ख़िदमत लेना

चमगादड़ के घर आई चमगादड़ आ बुवा लटक रहें

बदों की सोहबत से नेकों पर आफ़त आती है बुरे नेकों के बहकाने और बिगाड़ने वाले होते हैं, जब किसी मेहमान को साहिब ख़ाना की वजह से बिप्ता उठानी पड़े यानी जो तकलीफ़ साहिब ख़ाना पर गुज़रे वही ये भी बर्दाश्त करे या रंज-ओ-तकलीफ़ पर क़नाअत करने पर भी कहते हैं

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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