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घर में गुड़ बाहर शकर

घर वालों की तुलना में बाहर वालों से बेहतर व्यवहार करना

घर में शेर बाहर भेड़

इस व्यक्ति के बारे में कहते हैं जो घर वालों पर तो धाक जमाए और रोब दिखाए, लेकिन बाहर वालों से दब जाए, घर वालों पर अकारण ही सख़्ती करने और बाहरवालों से कोमल आचरण रखने वाला

घर में चिराग़ नहीं बाहर मश'अल

निर्धन आदमी दिखावे के लिए ख़र्च करे तो उस समय कहते हैं

बाहर मियाँ सूबेदार घर में बीबी झोंके भाड़

मियाँ ठाठ से नवाब बने फिरते हैं बीवी भूखी रहती है या नसीबों को रोती है

बाहर मियाँ सूबे-दार, घर में बीवी झोके भाड़

घर में खाने को नहीं बाहर शान बघारते हैं

घर में पकें चूहे और बाहर कहें पाए

मुफ़लस शेखी बाज़ के मुताल्लिक़ कहते हैं, घर में कुछ नहीं है मगर शेखी मारता है

बाहर मियाँ झंग झंगीले घर में नंगी जोए

मियाँ ठाठ से नवाब बने फिरते हैं बीवी भूखी रहती है या नसीबों को रोती है

बाहर मियाँ अलल्ले तलल्ले, घर में क़लाबाज़ियाँ खाएँ

अपव्ययी और दिखावे अर्थात ढोंग वाले हैं

ज़र-दार मर्द ना हर घर में रहे कि बाहर

सोने से पुरूष का शासन और प्रताप है घर में भी और बाहर भी

बाहर मियाँ अलल्ले तलल्ले, घर में चूहे पकें

अपव्ययी और दिखावे अर्थात ढोंग वाले हैं

घर में देखो छलनी न छाज, बाहर मियाँ तीर अंदाज़

ग़रीब शेख़ी बघारने वालों के बारे में कहते हैं

मियाँ बाहर पंज हज़ारी , बीवी घर में क़हत की मारी

(अविर) मियां बाहर ऐश कररहे हैं बीवी घर में मुसीबत झील रही है , रुक : बाहर मियां हफ़तहज़ारी, घर में बीवी फ़ाक़ों मारी जो ज़्यादा मुस्तामल है

घर में भोनी भाँग नहीं और बाहर न्योते सात

कोई निर्धनता की हालात में बड़ी बड़ी आशाएँ या ग़रीबी में अमीरों की रेस करे तो उस के प्रति कहते हैं

बाहर मियाँ अलल्ले तलल्ले, घर में चूहे क़लाबाज़ियाँ खाएँ

अपव्ययी और दिखावे अर्थात ढोंग वाले हैं

घर में भोनी भाँग नहीं और बाहर न्योते सात

कोई निर्धनता की हालात में बड़ी बड़ी आशाएँ या ग़रीबी में अमीरों की रेस करे तो उस के प्रति कहते हैं

बाहर मियाँ अब्बे-तब्बे घर में भूनी भंग नहीं

मुफ़लिस और ज़ाहिरी नमूद वाले हैं

घर में बीबी लक्खो औतार बाहर मियाँ थाना-दार

घर में बीवी अवतार (वली) बिन के मूसें बाहर मियां हुकूमत जता कर लौटें , बीवी फ़क़ीरनी बनी बैठी है, मियां शेखी में थानादार बने फिरते हैं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में घर में गुड़ बाहर शकर के अर्थदेखिए

घर में गुड़ बाहर शकर

ghar me.n gu.D baahar shakarگَھر میں گُڑ باہَر شَکَر

कहावत

घर में गुड़ बाहर शकर के हिंदी अर्थ

  • घर वालों की तुलना में बाहर वालों से बेहतर व्यवहार करना

گَھر میں گُڑ باہَر شَکَر کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • گھر والوں کی نسبت باہر والوں سے اچھا سلوک کرنا.

Urdu meaning of ghar me.n gu.D baahar shakar

  • Roman
  • Urdu

  • ghar vaalo.n kii nisbat baahar vaalo.n se achchhaa suluuk karnaa

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घर में गुड़ बाहर शकर

घर वालों की तुलना में बाहर वालों से बेहतर व्यवहार करना

घर में शेर बाहर भेड़

इस व्यक्ति के बारे में कहते हैं जो घर वालों पर तो धाक जमाए और रोब दिखाए, लेकिन बाहर वालों से दब जाए, घर वालों पर अकारण ही सख़्ती करने और बाहरवालों से कोमल आचरण रखने वाला

घर में चिराग़ नहीं बाहर मश'अल

निर्धन आदमी दिखावे के लिए ख़र्च करे तो उस समय कहते हैं

बाहर मियाँ सूबेदार घर में बीबी झोंके भाड़

मियाँ ठाठ से नवाब बने फिरते हैं बीवी भूखी रहती है या नसीबों को रोती है

बाहर मियाँ सूबे-दार, घर में बीवी झोके भाड़

घर में खाने को नहीं बाहर शान बघारते हैं

घर में पकें चूहे और बाहर कहें पाए

मुफ़लस शेखी बाज़ के मुताल्लिक़ कहते हैं, घर में कुछ नहीं है मगर शेखी मारता है

बाहर मियाँ झंग झंगीले घर में नंगी जोए

मियाँ ठाठ से नवाब बने फिरते हैं बीवी भूखी रहती है या नसीबों को रोती है

बाहर मियाँ अलल्ले तलल्ले, घर में क़लाबाज़ियाँ खाएँ

अपव्ययी और दिखावे अर्थात ढोंग वाले हैं

ज़र-दार मर्द ना हर घर में रहे कि बाहर

सोने से पुरूष का शासन और प्रताप है घर में भी और बाहर भी

बाहर मियाँ अलल्ले तलल्ले, घर में चूहे पकें

अपव्ययी और दिखावे अर्थात ढोंग वाले हैं

घर में देखो छलनी न छाज, बाहर मियाँ तीर अंदाज़

ग़रीब शेख़ी बघारने वालों के बारे में कहते हैं

मियाँ बाहर पंज हज़ारी , बीवी घर में क़हत की मारी

(अविर) मियां बाहर ऐश कररहे हैं बीवी घर में मुसीबत झील रही है , रुक : बाहर मियां हफ़तहज़ारी, घर में बीवी फ़ाक़ों मारी जो ज़्यादा मुस्तामल है

घर में भोनी भाँग नहीं और बाहर न्योते सात

कोई निर्धनता की हालात में बड़ी बड़ी आशाएँ या ग़रीबी में अमीरों की रेस करे तो उस के प्रति कहते हैं

बाहर मियाँ अलल्ले तलल्ले, घर में चूहे क़लाबाज़ियाँ खाएँ

अपव्ययी और दिखावे अर्थात ढोंग वाले हैं

घर में भोनी भाँग नहीं और बाहर न्योते सात

कोई निर्धनता की हालात में बड़ी बड़ी आशाएँ या ग़रीबी में अमीरों की रेस करे तो उस के प्रति कहते हैं

बाहर मियाँ अब्बे-तब्बे घर में भूनी भंग नहीं

मुफ़लिस और ज़ाहिरी नमूद वाले हैं

घर में बीबी लक्खो औतार बाहर मियाँ थाना-दार

घर में बीवी अवतार (वली) बिन के मूसें बाहर मियां हुकूमत जता कर लौटें , बीवी फ़क़ीरनी बनी बैठी है, मियां शेखी में थानादार बने फिरते हैं

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