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हो है

ہوتا ہے ۔

नोका चोकी हो रही है

आपस में रंजिश है , छेड़छाड़ है

कुछ नहीं हो सकता है

۔کوئی تدبیر کارگر نہیں ہوسکتی ہے۔ ؎

जो हो वो थोड़ा है

जिस क़दर गति बने इस के काबिल हो

छीन-छपटा हो रहा है

कुछ भी इंतिज़ाम नहीं जिस के जो हाथ आया ले भागा

वाह-वाह हो रही है

बड़ी तारीफ़ें हो रही हैं, बहुत प्रशंसा मिल रही है, (बहुत प्रशंसा, शाबाशी प्राप्त होने के अवसर पर प्रयुक्त)

ये भी हो सकता है

यह भी संभव है, इस का भी संभावना है

होनी हो के टलती है

क़िस्मत का लिखा हो कर रहता है, जो नसीब में हो वो ज़रूर होता है

हौल पुकार हो रही है

गुल ग़पाड़ा हो रहा है, बुलाव हो रही है, बुलाया जा रहा है, जल्दी पड़ रही है

झक्ल बावल हो रही है

बेहूदा बेहस तकरार हो रही है

हँसते हो कुछ पड़ा पाया है

جب کوئی بہت ہنس رہا ہو تو کہتے ہیں

नौ-रोज़ हो रहा है

ख़ूब चैन से बसर होती है

फ़रज़ंद वो है जो ख़लफ़ हो

धन्य पुत्र वास्तव में पुत्र ही होता है

गीली लकड़ी सीधी हो सकती है

बाल प्रशिक्षण संभव है

सुब्ह से बारिश हो रही है

ص

कूदते कूदते नचनिया हो जाता है

अभ्यास करते करते एक विशेषज्ञ, अनुभवी व्यक्ति या शिक्षक हो जाना

वाह वा हो रही है

बड़ी तारीफ़ें हो रही हैं

पक्का फोड़ा हो रहा है

अधिक भरा बैठा है, बहुत ग़मज़दा है, छेड़ने की देर है सब हाल कह देगा

क़तरा क़तरा दरिया हो जाता है

थोड़ा थोड़ करके बहुत ज़्यादा हो जाता है

हँसते हो, कुछ पड़ा पाया है

बला वजह हँसने के मौके़ पर कहा जाता है, जब कोई बिलावजह हंस रहा हो तो बुरा मान कर कहते हैं कि क्या मिल गया है जो हंस रहे हो

ख़र्च से समंदर ख़ाली हो जाता है

दौलत कितनी ही हो ख़र्च करने से ख़त्म हो जाती है

गाते गाते कलावंत हो ही जाती है

Practice makes a man perfect.

आँख में शर्म हो तो दरिया से भारी है

लाज और शर्म से बहुत प्रतिष्ठा एवं सम्मान होता है

नसीबे का लिखा हो कर रहता है

नविश्ता-ए-तक़दीर ज़रूर पूरा होताहै, क़िस्मत का लिखा हो कर रहता है

क़तरा क़तरा दरिया हो ही जाता है

थोड़ा-थोड़ा करके बहुत हो जाता है, बूँद-बूँद से तालाब भर जाता है

बड़ा बोल हो कर रहता है

अहंकार अच्छा नहीं या जो प्रसिद्ध हो जाता है हो कर रहता है

मिल्की चौथी पुश्त में कंगाल हो जाती है

अमीरी हमेशा नहीं रहती, उमूमन चौथी पुश्त मुफ़लिस हो जाती है , बहसाब अबजद आदाद मुल्की के हुरूफ़ से ज़ाहिर है कि हर साल दस दस अदद कम होते जाते हैं (म = ४० = ल ३०, क = २०, य = १०

मिल्की चौथी पुश्त में कंगाल हो जाता है

अमीरी हमेशा नहीं रहती, उमूमन चौथी पुश्त मुफ़लिस हो जाती है , बहसाब अबजद आदाद मुल्की के हुरूफ़ से ज़ाहिर है कि हर साल दस दस अदद कम होते जाते हैं (म = ४० = ल ३०, क = २०, य = १०

आम मछली की भेंट हो ही जाती है

जब कोई किसी को नुक़्सान पहुँचा कर चल देता है तो नुक़्सान उठाने वाला कहता है कि 'आम मछली का क्या साथ न होगा ' मलतब फिर कभी मुलाक़ात तो होगी उस वक़्त समझ लूँगा, अगर आज हम को नुक़्सान पहुँचा दिया है तो कभी हम को भी अपना बदला लेने का मौक़ा मिल ही जाएगा (चूँकि मछली पकाने में आम की खटाई दी जाती है इस वजह से आम मछली का साथ कहा गया

फ़ाक़ों में हराम भी हलाल हो जाता है

मजबूरी में सब जायज़ हो जाता है

रोते क्यों हो ? कहा सूरत ही ऐसी है

इस में ये ऐब पैदाइशी है, या जो शख़्स हरवक़त चीं बजबें रहे और परेशान सूरत बनाए रखे इस के मुताल्लिक़ कहते हैं

ग़ुस्से में इंसान बावला हो जाता है

ग़ुस्से में आदमी पागलों की तरह काम करता है

वक़्त पर जो हो जाए ठीक है

समय पर जो कुछ हो जाए बेहतर है क्यूँकि ऐसे समय पर मनुष्य घबरा जाता है

जो हो सकता है

what or whatever is possible or can be done

बैठे बैठे तो क़ारून का ख़ज़ाना भी ख़ाली हो जाता है

बेकार बैठ कर ख़र्च करने से कितना ही धन-दौलत या जायदाद हो समाप्त हो जाता है इस लिए कमाई करनी चाहिए

गाती गाते गाते आदमी कलवंत हो ही जाता है

काम करते करते आदमी तजरबाकार हो जाता है, हर कमाल मश्क़ पर मौक़ूफ़ है

आँख में शर्म हो तो जहाज़ से भारी है

लज्जा से प्रतिष्ठा होती है

गाती गाते गाते आदमी कलाँवत हो ही जाता है

काम करते करते आदमी तजरबाकार हो जाता है, हर कमाल मश्क़ पर मौक़ूफ़ है

गाती गाते गाते आदमी 'अताई हो ही जाता है

काम करते करते आदमी तजरबाकार हो जाता है, हर कमाल मश्क़ पर मौक़ूफ़ है

मुक़द्दर में जो कुछ है हो रहेगा

भाग्य में जो लिखा है ज़रूर होगा, टल नहीं सकता

जल से अग्नि बुझत है जल बरसत ठंड हो, जल से धोबी मैल को दूर करत है धो

जल मनुष्य के लिये अत्यंत लाभदायक चीज़ है इस से आग बुझती है, बरसे तो सर्दी होती है और मैले कपड़ों से मैल भी निकालता है

रोज़ रोज़ की दवा भी ग़िज़ा हो जाती है

आम तौर पर दवा इस्तिमाल की जाये तो इस का असर नहीं होता, मामूल की चीज़ की एहमीयत बाक़ी नहीं रहती

कुत्ता टेढ़ी पूँछ है , कभी न सीधी हो

बद आदमी की बदख़स्लत नहीं जाती

हाँडी में जो हो सो वही चमची में आवे है

जो दिल में होता है वही ज़बान पर आता है, दिल की बात मुँह से निकल ही जाती है , बात ज़ाहिर हो कर रहती है

वक़्त पर जो हो जाए सो ठीक है

समय पर जो कुछ हो जाए बेहतर है क्यूँकि ऐसे समय पर मनुष्य घबरा जाता है

टका हो जिस के हाथ में वो बड़ा है ज़ात में

मालदारी आदमी को बड़ी जाति का बना देती है, पैसे वाले का ही सम्मान सब जगह होता है

हाँडी में जो हो सो वही डोई में आवे है

जो दिल में होता है वही ज़बान पर आता है, दिल की बात मुँह से निकल ही जाती है , बात ज़ाहिर हो कर रहती है

कल जो होना है आज हो जाए

जो चीज़ कल पर निर्भर है वो आज ही हो जाए, काम को जल्द से जल्द पूरा कर लिया जाए, किसी भी तरह देरी न की जाए, आशंका को जल्द से जल्द दूर कर लिया जाए

मोम हो तो पिघले, कहीं पत्थर भी पिघलता है

कठोर दिल व्यक्ति के संबंध में कहते हैं

मोम हो तो पिघले, कहीं पत्थर भी पिघला है

कठोर दिल व्यक्ति के संबंध में कहते हैं

थोड़ा थोड़ा ही कर के बहुत हो जाता है

drop by drop fills the bucket

जल से अग्नि बुझत है जल बरसत ठंड हो, जल से धोबी मैल को दूर करत है धोय

जल मनुष्य के लिये अत्यंत लाभदायक चीज़ है इस से आग बुझती है, बरसे तो सर्दी होती है और मैले कपड़ों से मैल भी निकालता है

कुछ लेते हो, कहा अपना काम क्या है, कुछ देते हो, कहा यह शरारत बंदे को नहीं आती

लेने को तैयार, देने से नकारना

कुछ लेते हो, कहा अपना काम यही है, कुछ देते हो, कहा यह शरारत बंदे को नहीं भाती

लेने को तैयार, देने से नकारना

ग़रज़ पड़े से आदमी बावला हो जाता है

ज़रूरत के वक़्त आदमी दीवानों की तरह काम करता है

जो कल होना है वो आज हो जाए

शीघ्रता के अवसर पर कहते हैं

तिरया तू है सोभा घर की, जो हो लाज रखावा नर की

जो स्त्री अपने पति का सम्मान एवं गौरव स्थापित रखे वो घर की शोभा है

जिस पगड़ी में हो न चिल्ला पगड़ी नहीं वो फेंटी है

चिल्लद से अलबत्ता पगड़ी की ज़ेबाइश हो जाती है , हर चीज़ अपने औसाफ़ में पूरी होनी चाहिए

मुर्दे को बैठ कर रोया जाता है और रोटी को खड़े हो कर

रोटी रोज़गार का दुख मुर्दे के दुख से अधिक होता है

हज़ार लाठी टूटी हो फिर भी घर भर के बर्तन तोड़ने के लिए काफ़ी है

पति भले ही दुबला-पतला हो, लेकिन पत्नी को मारने के लिए काफी है; टूटा हुआ हथियार भी काम आता है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में हो है के अर्थदेखिए

हो है

ho haiہو ہے

ہو ہے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

فعل متعلق

  • ہوتا ہے ۔

Urdu meaning of ho hai

  • Roman
  • Urdu

  • hotaa hai

खोजे गए शब्द से संबंधित

हो है

ہوتا ہے ۔

नोका चोकी हो रही है

आपस में रंजिश है , छेड़छाड़ है

कुछ नहीं हो सकता है

۔کوئی تدبیر کارگر نہیں ہوسکتی ہے۔ ؎

जो हो वो थोड़ा है

जिस क़दर गति बने इस के काबिल हो

छीन-छपटा हो रहा है

कुछ भी इंतिज़ाम नहीं जिस के जो हाथ आया ले भागा

वाह-वाह हो रही है

बड़ी तारीफ़ें हो रही हैं, बहुत प्रशंसा मिल रही है, (बहुत प्रशंसा, शाबाशी प्राप्त होने के अवसर पर प्रयुक्त)

ये भी हो सकता है

यह भी संभव है, इस का भी संभावना है

होनी हो के टलती है

क़िस्मत का लिखा हो कर रहता है, जो नसीब में हो वो ज़रूर होता है

हौल पुकार हो रही है

गुल ग़पाड़ा हो रहा है, बुलाव हो रही है, बुलाया जा रहा है, जल्दी पड़ रही है

झक्ल बावल हो रही है

बेहूदा बेहस तकरार हो रही है

हँसते हो कुछ पड़ा पाया है

جب کوئی بہت ہنس رہا ہو تو کہتے ہیں

नौ-रोज़ हो रहा है

ख़ूब चैन से बसर होती है

फ़रज़ंद वो है जो ख़लफ़ हो

धन्य पुत्र वास्तव में पुत्र ही होता है

गीली लकड़ी सीधी हो सकती है

बाल प्रशिक्षण संभव है

सुब्ह से बारिश हो रही है

ص

कूदते कूदते नचनिया हो जाता है

अभ्यास करते करते एक विशेषज्ञ, अनुभवी व्यक्ति या शिक्षक हो जाना

वाह वा हो रही है

बड़ी तारीफ़ें हो रही हैं

पक्का फोड़ा हो रहा है

अधिक भरा बैठा है, बहुत ग़मज़दा है, छेड़ने की देर है सब हाल कह देगा

क़तरा क़तरा दरिया हो जाता है

थोड़ा थोड़ करके बहुत ज़्यादा हो जाता है

हँसते हो, कुछ पड़ा पाया है

बला वजह हँसने के मौके़ पर कहा जाता है, जब कोई बिलावजह हंस रहा हो तो बुरा मान कर कहते हैं कि क्या मिल गया है जो हंस रहे हो

ख़र्च से समंदर ख़ाली हो जाता है

दौलत कितनी ही हो ख़र्च करने से ख़त्म हो जाती है

गाते गाते कलावंत हो ही जाती है

Practice makes a man perfect.

आँख में शर्म हो तो दरिया से भारी है

लाज और शर्म से बहुत प्रतिष्ठा एवं सम्मान होता है

नसीबे का लिखा हो कर रहता है

नविश्ता-ए-तक़दीर ज़रूर पूरा होताहै, क़िस्मत का लिखा हो कर रहता है

क़तरा क़तरा दरिया हो ही जाता है

थोड़ा-थोड़ा करके बहुत हो जाता है, बूँद-बूँद से तालाब भर जाता है

बड़ा बोल हो कर रहता है

अहंकार अच्छा नहीं या जो प्रसिद्ध हो जाता है हो कर रहता है

मिल्की चौथी पुश्त में कंगाल हो जाती है

अमीरी हमेशा नहीं रहती, उमूमन चौथी पुश्त मुफ़लिस हो जाती है , बहसाब अबजद आदाद मुल्की के हुरूफ़ से ज़ाहिर है कि हर साल दस दस अदद कम होते जाते हैं (म = ४० = ल ३०, क = २०, य = १०

मिल्की चौथी पुश्त में कंगाल हो जाता है

अमीरी हमेशा नहीं रहती, उमूमन चौथी पुश्त मुफ़लिस हो जाती है , बहसाब अबजद आदाद मुल्की के हुरूफ़ से ज़ाहिर है कि हर साल दस दस अदद कम होते जाते हैं (म = ४० = ल ३०, क = २०, य = १०

आम मछली की भेंट हो ही जाती है

जब कोई किसी को नुक़्सान पहुँचा कर चल देता है तो नुक़्सान उठाने वाला कहता है कि 'आम मछली का क्या साथ न होगा ' मलतब फिर कभी मुलाक़ात तो होगी उस वक़्त समझ लूँगा, अगर आज हम को नुक़्सान पहुँचा दिया है तो कभी हम को भी अपना बदला लेने का मौक़ा मिल ही जाएगा (चूँकि मछली पकाने में आम की खटाई दी जाती है इस वजह से आम मछली का साथ कहा गया

फ़ाक़ों में हराम भी हलाल हो जाता है

मजबूरी में सब जायज़ हो जाता है

रोते क्यों हो ? कहा सूरत ही ऐसी है

इस में ये ऐब पैदाइशी है, या जो शख़्स हरवक़त चीं बजबें रहे और परेशान सूरत बनाए रखे इस के मुताल्लिक़ कहते हैं

ग़ुस्से में इंसान बावला हो जाता है

ग़ुस्से में आदमी पागलों की तरह काम करता है

वक़्त पर जो हो जाए ठीक है

समय पर जो कुछ हो जाए बेहतर है क्यूँकि ऐसे समय पर मनुष्य घबरा जाता है

जो हो सकता है

what or whatever is possible or can be done

बैठे बैठे तो क़ारून का ख़ज़ाना भी ख़ाली हो जाता है

बेकार बैठ कर ख़र्च करने से कितना ही धन-दौलत या जायदाद हो समाप्त हो जाता है इस लिए कमाई करनी चाहिए

गाती गाते गाते आदमी कलवंत हो ही जाता है

काम करते करते आदमी तजरबाकार हो जाता है, हर कमाल मश्क़ पर मौक़ूफ़ है

आँख में शर्म हो तो जहाज़ से भारी है

लज्जा से प्रतिष्ठा होती है

गाती गाते गाते आदमी कलाँवत हो ही जाता है

काम करते करते आदमी तजरबाकार हो जाता है, हर कमाल मश्क़ पर मौक़ूफ़ है

गाती गाते गाते आदमी 'अताई हो ही जाता है

काम करते करते आदमी तजरबाकार हो जाता है, हर कमाल मश्क़ पर मौक़ूफ़ है

मुक़द्दर में जो कुछ है हो रहेगा

भाग्य में जो लिखा है ज़रूर होगा, टल नहीं सकता

जल से अग्नि बुझत है जल बरसत ठंड हो, जल से धोबी मैल को दूर करत है धो

जल मनुष्य के लिये अत्यंत लाभदायक चीज़ है इस से आग बुझती है, बरसे तो सर्दी होती है और मैले कपड़ों से मैल भी निकालता है

रोज़ रोज़ की दवा भी ग़िज़ा हो जाती है

आम तौर पर दवा इस्तिमाल की जाये तो इस का असर नहीं होता, मामूल की चीज़ की एहमीयत बाक़ी नहीं रहती

कुत्ता टेढ़ी पूँछ है , कभी न सीधी हो

बद आदमी की बदख़स्लत नहीं जाती

हाँडी में जो हो सो वही चमची में आवे है

जो दिल में होता है वही ज़बान पर आता है, दिल की बात मुँह से निकल ही जाती है , बात ज़ाहिर हो कर रहती है

वक़्त पर जो हो जाए सो ठीक है

समय पर जो कुछ हो जाए बेहतर है क्यूँकि ऐसे समय पर मनुष्य घबरा जाता है

टका हो जिस के हाथ में वो बड़ा है ज़ात में

मालदारी आदमी को बड़ी जाति का बना देती है, पैसे वाले का ही सम्मान सब जगह होता है

हाँडी में जो हो सो वही डोई में आवे है

जो दिल में होता है वही ज़बान पर आता है, दिल की बात मुँह से निकल ही जाती है , बात ज़ाहिर हो कर रहती है

कल जो होना है आज हो जाए

जो चीज़ कल पर निर्भर है वो आज ही हो जाए, काम को जल्द से जल्द पूरा कर लिया जाए, किसी भी तरह देरी न की जाए, आशंका को जल्द से जल्द दूर कर लिया जाए

मोम हो तो पिघले, कहीं पत्थर भी पिघलता है

कठोर दिल व्यक्ति के संबंध में कहते हैं

मोम हो तो पिघले, कहीं पत्थर भी पिघला है

कठोर दिल व्यक्ति के संबंध में कहते हैं

थोड़ा थोड़ा ही कर के बहुत हो जाता है

drop by drop fills the bucket

जल से अग्नि बुझत है जल बरसत ठंड हो, जल से धोबी मैल को दूर करत है धोय

जल मनुष्य के लिये अत्यंत लाभदायक चीज़ है इस से आग बुझती है, बरसे तो सर्दी होती है और मैले कपड़ों से मैल भी निकालता है

कुछ लेते हो, कहा अपना काम क्या है, कुछ देते हो, कहा यह शरारत बंदे को नहीं आती

लेने को तैयार, देने से नकारना

कुछ लेते हो, कहा अपना काम यही है, कुछ देते हो, कहा यह शरारत बंदे को नहीं भाती

लेने को तैयार, देने से नकारना

ग़रज़ पड़े से आदमी बावला हो जाता है

ज़रूरत के वक़्त आदमी दीवानों की तरह काम करता है

जो कल होना है वो आज हो जाए

शीघ्रता के अवसर पर कहते हैं

तिरया तू है सोभा घर की, जो हो लाज रखावा नर की

जो स्त्री अपने पति का सम्मान एवं गौरव स्थापित रखे वो घर की शोभा है

जिस पगड़ी में हो न चिल्ला पगड़ी नहीं वो फेंटी है

चिल्लद से अलबत्ता पगड़ी की ज़ेबाइश हो जाती है , हर चीज़ अपने औसाफ़ में पूरी होनी चाहिए

मुर्दे को बैठ कर रोया जाता है और रोटी को खड़े हो कर

रोटी रोज़गार का दुख मुर्दे के दुख से अधिक होता है

हज़ार लाठी टूटी हो फिर भी घर भर के बर्तन तोड़ने के लिए काफ़ी है

पति भले ही दुबला-पतला हो, लेकिन पत्नी को मारने के लिए काफी है; टूटा हुआ हथियार भी काम आता है

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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