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मन-आनम-कि-मन-दानम

(फ़ारसी वाक्य उर्दू में प्रयुक्त) अपनी स्थिति को मैं स्वयं अच्छी तरह जानता हूँ कि मैं कैसा हूँ, जैसा मैं हूँ उसे मैं ही समझता हूँ दूसरा नहीं समझता

मन आनम कि मन दानम

۔(ف) مقولہ۔ مدح وتعریف کے جواب میں۔اپنی عاجزی اورخاکساری ظاہر کرنے کے لئے مستعمل ہے۔

मन-कि

मैं कि, मैं, जिसका नाम, चिह्न और पता यह है (न्यायालिक दस्तावेज़ात, रसीद आदि के आरंभ में नामों से पहले प्रयोग करते हैं)

मन-दानम-ओ-कार-ए-मन

(फ़ारसी फ़िक़रा उर्दू में बतौर कहावत मुस्तामल) में अपने फ़र्ज़ का ख़ुद ज़िम्मेदार हूँ, चू कुछ करना चाहिए वो में ख़ुद कर लूंगा

ज़बान-ए-यार-ए-मन-तुर्की-ओ-मन-तुर्की-नमी-दानम

फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल, मेरे दोस्त की ज़बान तुर्की है और में तुर्की ज़बान जानता नहीं, जब किसी बात या किसी की ज़बान समझ में नहीं आती तो ये कहते हैं

कस न गोयद कि दोग़ मन तुर्श अस्त

अपनी छाछ को कोई बुरा नहीं कहता

सुनिए सब की कीजिए अपने मन की

बात हर एक की सुननी चाहिए परंतु करना वही चाहिए जो दिल में आए

करिये अपने मन की, सुनिये सब की

बात हर एक की सुननी चाहिए परंतु करना वही चाहिए जो दिल में आए

अपने मन से जानिये पराए मन की बात

दूसरे तुम से क्या चाहते हैं अथवा कैसे व्यवहार की आशा रखते हैं इसे स्वयं अपने मन से समझ लेना चाहिए

तीन टाँग की घोड़ी नौ मन की लादनी

शक्ति से अधिक काम लेने के समय पर कहते हैं, किसी अयोग्य को कोई बड़ा काम सौंप देना

तीन टाँग की घोड़ी नौ मन की लदनी

शक्ति से अधिक काम लेने के समय पर कहते हैं, किसी अयोग्य को कोई बड़ा काम सौंप देना

हाँ जी हाँ जी सब से कीजिये , करिये अपने मन की

सब की सुननी चाहिए करना वही चाहिए जो दिल को अच्छा मालूम हो

हाँ जी हाँ जी सब से कीजिये, करिये अपने मन की

बात हर एक की सुननी चाहिए परंतु करना वही चाहिए जो दिल में आए

मन की मुर्री किस से कहूँ पेट मसोसा दे दे रहूँ

अपना दुख या भूक किस से कहूँ पेट दबा कर चुप हो रहती हूँ

रंग की ख़ुशी, मन का सौदा

दिल को जो पसंद आए वही रंग अच्छा होता है

मन भर का सर हिलाते हैं , पैसा भर की ज़बान नहीं हिलते

इशारे से कहते हैं ज़बान से नहीं बोलते, साफ़ साफ़ नहीं कहते

मन की मुराद पूरी होना

रुक : मन की मुराद पाना

बनिये की गौन में नौ मन का धोका

मामला थोड़ा सा है मगर भूल बहुत बड़ी है

मन भर का सर हिलाते हैं , पैसा भर की ज़बान नहीं हिलाई जाती

इस के मुताल्लिक़ कहते हैं जो सलाम के जवाब में सिर्फ़ सर हिला दे , मग़रूर और बेवक़ूफ़ के मुताल्लिक़ कहते हैं

मन भर का सर हिलाते हैं , पैसे भर की ज़बान नहीं हिलाई जाती

۔مثل۔ مغرور آدمی کی نسبت بولتے ہیں۔ جو سلام کا جواب سرہلاکر ہی دیدے مگر زبان سے بات نہ کرے۔

मन की मारी कासे कहूँ, पेट मसोसा दे दे रहूँ

अपना दुख या भूक किस से कहूँ पेट दबा कर चुप हो रहती हूँ

तन-मन की सुध-बुध न रहना

तन-बदन का होश न रहना, महव हो जाना

मन की धुंद छटना

हृदय पवित्र होना, दिल साफ़ होना, द्वेष जाते रहना

साईं अपने चित्त की भूल न कहिये कोय, तब लग मन में राखिये जब लग कारज होय

अपने दिल का भेद भूल कर भी किसी को नहीं बताना चाहिये जब तक काम न हो जाए उसे दिल में रखना चाहिये

प्रीत न टूटे अन-मिले उत्तम मन की लाग, सौ जुग पानी में रहे चकमक तजे न आग

सच्चा प्रेम अनुपस्थिति में नहीं जाती जिस तरह चक़माक़ पानी में रहने से आग नहीं खोता

मन भर का सर हिलाए टके की ज़बान न हिलाए

nod rather than talk

मन की बात मन में रखना

दिल की बात न कहना, दिल की इच्छा किसी से न कहना, इच्छा व्यक्त न करना

मन की मन में रहना

दिल की इच्छा दिल में ही रह जाना, इच्छा पूरी न होना, उत्सुकता और इच्छा का व्यर्थ जाना, उद्देश्य पूरा न होना

काम क्रोध, मध, लोभ की जब मन में होवे खान, का पंडित का मूर्खा दोऊ एक समान

काम वासना, क्रोध, घमंड और लोभ अर्थात लालच अगर दिल में हों तो ज्ञानी एवं अनपढ़ दोनों बराबर हैं

मन की दुनिया

(अर्थात) अंतरात्मा, विवेक, ज़मीर, जाति

मन की आसूदगी

आत्म-संतुष्टि, दिल की ख़ुशी, हृदय- सुख- इनमें से अधिकतर मन की शांति को खोजने वाले दिखाई देते हैं

कच्ची कली कचनाल की तोड़त मन पछ्ताए

नाक़ाबिल इस्तिमाल चीज़ का लेने का कोई फ़ायदा नहीं

प्रीत डगर जब पग रखा होनी होय सो हो, नेह नगर की रीत है तन मन दीनो खो

प्रेम में भू-लोक एवं परलोक कहीं का होश नहीं रहता, मनुष्य बे-परवाह हो जाता है

मन की तरंग

दिल की लहर, इच्छा का जोश, दिल का शौक़

प्रीत डगर जब पग रखा होनी होय सो होय, नेह नगर की रीत है तन मन दोनों खोय

प्रेम में भू-लोक एवं परलोक कहीं का होश नहीं रहता, मनुष्य बे-परवाह हो जाता है

जब तू न्याय की गद्दी पर बैठे तो अपने मन से तरफ़-दारी लालच और क्रोध को दूर कर

शासक को पक्षपात लालच और क्रोध नहीं करना चाहिए

मन की मारी

मुर्दा दिल, उदास दिल, उदास स्वभाव

मन की मुराद पाना

दिल की ख़ाहिश पूरी होना, अरमान पूरा होना, हसरत निकलना

बारह बरस की कन्या और छटी रात का बर वो तो पीवे दूध है तेरा मन माने सो कर

जब वास्तविकता में पति बुरा है तो स्त्री को अधिकार है जो चाहे सो करे

मन की सी कहना

रुक : मन की बात कहना

मन की इच्छा

दिल की ख्वाहिश, आरज़ू, इच्छा, उत्कंठा, लालसा

हज़ार मन की

(औरत की भाषा) इज़्ज़त और सम्मान वाली

मन की करना

इच्छानुसार काम करना, हट करना (सामान्यतः स्वयं के साथ प्रयोग किया जाता है)

मन की बात

(संकेतात्मक) दिल की बात, छुपी हुई अभिलाषा, गुप्त इच्छा, प्रिय इच्छा, भेद, राज़

लाख मन की

نہایت بھاری بھر کم ، بہت باوقعت اور صاحبِ عزّت.

मन की मौज

دل کی ترنگ یا لہر ، ولولہء خاطر ، اُمنگ ، شوقِ دلی ۔

मन की बात बताना

दिल की बात कहना, ख़ातिर-ख़्वाह बात करना

मन की दौलत

(लाक्षणिक) दिली सुख, दिली तसल्ली

मन की हवस

विषयासक्ति, तीव्र इच्छा, लालच

मन की बात कहना

दिल की बात कहना, मनो-वांछित बात करना, दिल-पसंद बात कहना

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में मन-आनम-कि-मन-दानम के अर्थदेखिए

मन-आनम-कि-मन-दानम

man-aanam-ki-man-daanamمَن آنَم کہ مَن دانَم

वाक्य

मन-आनम-कि-मन-दानम के हिंदी अर्थ

  • (फ़ारसी वाक्य उर्दू में प्रयुक्त) अपनी स्थिति को मैं स्वयं अच्छी तरह जानता हूँ कि मैं कैसा हूँ, जैसा मैं हूँ उसे मैं ही समझता हूँ दूसरा नहीं समझता

English meaning of man-aanam-ki-man-daanam

  • I know my limitations

مَن آنَم کہ مَن دانَم کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • (فارسی فقرہ اردو میں مستعمل) اپنے حال کو میں آپ ہی خوب جانتا ہوں کہ کیسا ہوں ، جیسا میں ہوں اسے میں ہی سمجھتا ہوں دوسرا نہیں سمجھتا (تعریف کے موقع پر بطور انکسار مستعمل) ۔

Urdu meaning of man-aanam-ki-man-daanam

  • Roman
  • Urdu

  • (faarsii fiqra urduu me.n mustaamal) apne haal ko me.n aap hii Khuub jaantaa huu.n ki kaisaa huu.n, jaisaa me.n huu.n ise me.n hii samajhtaa huu.n duusraa nahii.n samajhtaa (taariif ke mauqaa par bataur inkisaar mustaamal)

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मन-आनम-कि-मन-दानम

(फ़ारसी वाक्य उर्दू में प्रयुक्त) अपनी स्थिति को मैं स्वयं अच्छी तरह जानता हूँ कि मैं कैसा हूँ, जैसा मैं हूँ उसे मैं ही समझता हूँ दूसरा नहीं समझता

मन आनम कि मन दानम

۔(ف) مقولہ۔ مدح وتعریف کے جواب میں۔اپنی عاجزی اورخاکساری ظاہر کرنے کے لئے مستعمل ہے۔

मन-कि

मैं कि, मैं, जिसका नाम, चिह्न और पता यह है (न्यायालिक दस्तावेज़ात, रसीद आदि के आरंभ में नामों से पहले प्रयोग करते हैं)

मन-दानम-ओ-कार-ए-मन

(फ़ारसी फ़िक़रा उर्दू में बतौर कहावत मुस्तामल) में अपने फ़र्ज़ का ख़ुद ज़िम्मेदार हूँ, चू कुछ करना चाहिए वो में ख़ुद कर लूंगा

ज़बान-ए-यार-ए-मन-तुर्की-ओ-मन-तुर्की-नमी-दानम

फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल, मेरे दोस्त की ज़बान तुर्की है और में तुर्की ज़बान जानता नहीं, जब किसी बात या किसी की ज़बान समझ में नहीं आती तो ये कहते हैं

कस न गोयद कि दोग़ मन तुर्श अस्त

अपनी छाछ को कोई बुरा नहीं कहता

सुनिए सब की कीजिए अपने मन की

बात हर एक की सुननी चाहिए परंतु करना वही चाहिए जो दिल में आए

करिये अपने मन की, सुनिये सब की

बात हर एक की सुननी चाहिए परंतु करना वही चाहिए जो दिल में आए

अपने मन से जानिये पराए मन की बात

दूसरे तुम से क्या चाहते हैं अथवा कैसे व्यवहार की आशा रखते हैं इसे स्वयं अपने मन से समझ लेना चाहिए

तीन टाँग की घोड़ी नौ मन की लादनी

शक्ति से अधिक काम लेने के समय पर कहते हैं, किसी अयोग्य को कोई बड़ा काम सौंप देना

तीन टाँग की घोड़ी नौ मन की लदनी

शक्ति से अधिक काम लेने के समय पर कहते हैं, किसी अयोग्य को कोई बड़ा काम सौंप देना

हाँ जी हाँ जी सब से कीजिये , करिये अपने मन की

सब की सुननी चाहिए करना वही चाहिए जो दिल को अच्छा मालूम हो

हाँ जी हाँ जी सब से कीजिये, करिये अपने मन की

बात हर एक की सुननी चाहिए परंतु करना वही चाहिए जो दिल में आए

मन की मुर्री किस से कहूँ पेट मसोसा दे दे रहूँ

अपना दुख या भूक किस से कहूँ पेट दबा कर चुप हो रहती हूँ

रंग की ख़ुशी, मन का सौदा

दिल को जो पसंद आए वही रंग अच्छा होता है

मन भर का सर हिलाते हैं , पैसा भर की ज़बान नहीं हिलते

इशारे से कहते हैं ज़बान से नहीं बोलते, साफ़ साफ़ नहीं कहते

मन की मुराद पूरी होना

रुक : मन की मुराद पाना

बनिये की गौन में नौ मन का धोका

मामला थोड़ा सा है मगर भूल बहुत बड़ी है

मन भर का सर हिलाते हैं , पैसा भर की ज़बान नहीं हिलाई जाती

इस के मुताल्लिक़ कहते हैं जो सलाम के जवाब में सिर्फ़ सर हिला दे , मग़रूर और बेवक़ूफ़ के मुताल्लिक़ कहते हैं

मन भर का सर हिलाते हैं , पैसे भर की ज़बान नहीं हिलाई जाती

۔مثل۔ مغرور آدمی کی نسبت بولتے ہیں۔ جو سلام کا جواب سرہلاکر ہی دیدے مگر زبان سے بات نہ کرے۔

मन की मारी कासे कहूँ, पेट मसोसा दे दे रहूँ

अपना दुख या भूक किस से कहूँ पेट दबा कर चुप हो रहती हूँ

तन-मन की सुध-बुध न रहना

तन-बदन का होश न रहना, महव हो जाना

मन की धुंद छटना

हृदय पवित्र होना, दिल साफ़ होना, द्वेष जाते रहना

साईं अपने चित्त की भूल न कहिये कोय, तब लग मन में राखिये जब लग कारज होय

अपने दिल का भेद भूल कर भी किसी को नहीं बताना चाहिये जब तक काम न हो जाए उसे दिल में रखना चाहिये

प्रीत न टूटे अन-मिले उत्तम मन की लाग, सौ जुग पानी में रहे चकमक तजे न आग

सच्चा प्रेम अनुपस्थिति में नहीं जाती जिस तरह चक़माक़ पानी में रहने से आग नहीं खोता

मन भर का सर हिलाए टके की ज़बान न हिलाए

nod rather than talk

मन की बात मन में रखना

दिल की बात न कहना, दिल की इच्छा किसी से न कहना, इच्छा व्यक्त न करना

मन की मन में रहना

दिल की इच्छा दिल में ही रह जाना, इच्छा पूरी न होना, उत्सुकता और इच्छा का व्यर्थ जाना, उद्देश्य पूरा न होना

काम क्रोध, मध, लोभ की जब मन में होवे खान, का पंडित का मूर्खा दोऊ एक समान

काम वासना, क्रोध, घमंड और लोभ अर्थात लालच अगर दिल में हों तो ज्ञानी एवं अनपढ़ दोनों बराबर हैं

मन की दुनिया

(अर्थात) अंतरात्मा, विवेक, ज़मीर, जाति

मन की आसूदगी

आत्म-संतुष्टि, दिल की ख़ुशी, हृदय- सुख- इनमें से अधिकतर मन की शांति को खोजने वाले दिखाई देते हैं

कच्ची कली कचनाल की तोड़त मन पछ्ताए

नाक़ाबिल इस्तिमाल चीज़ का लेने का कोई फ़ायदा नहीं

प्रीत डगर जब पग रखा होनी होय सो हो, नेह नगर की रीत है तन मन दीनो खो

प्रेम में भू-लोक एवं परलोक कहीं का होश नहीं रहता, मनुष्य बे-परवाह हो जाता है

मन की तरंग

दिल की लहर, इच्छा का जोश, दिल का शौक़

प्रीत डगर जब पग रखा होनी होय सो होय, नेह नगर की रीत है तन मन दोनों खोय

प्रेम में भू-लोक एवं परलोक कहीं का होश नहीं रहता, मनुष्य बे-परवाह हो जाता है

जब तू न्याय की गद्दी पर बैठे तो अपने मन से तरफ़-दारी लालच और क्रोध को दूर कर

शासक को पक्षपात लालच और क्रोध नहीं करना चाहिए

मन की मारी

मुर्दा दिल, उदास दिल, उदास स्वभाव

मन की मुराद पाना

दिल की ख़ाहिश पूरी होना, अरमान पूरा होना, हसरत निकलना

बारह बरस की कन्या और छटी रात का बर वो तो पीवे दूध है तेरा मन माने सो कर

जब वास्तविकता में पति बुरा है तो स्त्री को अधिकार है जो चाहे सो करे

मन की सी कहना

रुक : मन की बात कहना

मन की इच्छा

दिल की ख्वाहिश, आरज़ू, इच्छा, उत्कंठा, लालसा

हज़ार मन की

(औरत की भाषा) इज़्ज़त और सम्मान वाली

मन की करना

इच्छानुसार काम करना, हट करना (सामान्यतः स्वयं के साथ प्रयोग किया जाता है)

मन की बात

(संकेतात्मक) दिल की बात, छुपी हुई अभिलाषा, गुप्त इच्छा, प्रिय इच्छा, भेद, राज़

लाख मन की

نہایت بھاری بھر کم ، بہت باوقعت اور صاحبِ عزّت.

मन की मौज

دل کی ترنگ یا لہر ، ولولہء خاطر ، اُمنگ ، شوقِ دلی ۔

मन की बात बताना

दिल की बात कहना, ख़ातिर-ख़्वाह बात करना

मन की दौलत

(लाक्षणिक) दिली सुख, दिली तसल्ली

मन की हवस

विषयासक्ति, तीव्र इच्छा, लालच

मन की बात कहना

दिल की बात कहना, मनो-वांछित बात करना, दिल-पसंद बात कहना

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