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न हो

कहीं ऐसा न हो कि (संदेह या शंका प्रकट करने के लिए प्रयुक्त)

न होना

ना पाया जाना, हासिल ना होना, मौजूद ना होना (होना (रुक) की ज़िद

न होगा बाँस , न बजेगी बाँसुरी

रुक : ना रहेगा बांस ना बजेगी बांसुरी

क्यूँ न हो

शाबाश, क्या कहना, अवश्य, ज़रूर, वाह वाह, क्यों नहीं, ऐसा ज़रूर हो

हो न हो

definitely, of course, whatever might happen, it may happen or not

न-होत

धन न होना

ये न हो

कोई भी नहीं, एक भी नहीं मिल सकता, इधर न उधर, दोनों नहीं, दोनों में से कोई भी नहीं

खड़का न हो

ज़रा सी आहट हो तो चोर भाग जाता है

कहाँ हो कहाँ न हो

who knows where (he, etc.) may be

हुआ न हो

अब तक नहीं हुआ और ना आइन्दा होगा, नहीं होगा

याद हो कि न हो

۔معلوم نہیںیاد ہے یا بھول گئے۔

बुरा न हो

(तंज़िया) ख़ानाख़राब हो, आफ़त टूटे, नास जाये

ये वो न हो

۔ये वो बात नहीं। ये वैसा मुआमला नहीं।

याद हो कि न याद हो

(किसी को कुछ याद दिलाने के मौके़ पर प्रयुक्त) मालूम नहीं याद है कि भूल गए, क्या पता तुम्हें याद है या तुम्हारे दिमाग़ से उतर गया

कफ़न नसीब न हो

(कोसना) बे गुरू-ओ-कफ़न रहे

ईमान नसीब न हो

दीन-ओ-इस्लाम से महरूम हो जाउं, (ख़ुदा य ताला) मेरे मज़हब को क़बूल ना करे (किसी बात का यक़ीन दिलाने के लिए किस्म के तौर पर मुस्तामल)

भूखे भजन न हो

भूखे आदमी से पूजा भी नहीं हो सकती

पश्म-कंदा न हो सकना

कुछ ना बिगड़ सकना, ज़र्रा भर नुक़्सान ना पहुंचना, कुछ ना हो सकना

क्या क्या न हो गया

कौन सी बात रह गई, कौन सी रुसवाई ना हुई, बहुत कुछ हुआ

हारी मानते हो न जीती

रुक : हारी जीती एक ना / नहीं मानना

नज़र न हो जाए

बुरी नज़र न लगे, बुरी नज़र दूर हो, अल्लाह बुरी नज़र से बचाए

कुछ न कुछ हो रहना

۔تھوڑی بہت کامیابی ہونا۔ ؎

सहरी भी न खाऊँ तो काफ़िर न हो जाऊँ

ایک ماما سحری کھا لیتی تھی روزہ نہ رکھتی تھی ، ایک دن مالک نے پوچھا تو یہ جواب دیا ، یعنی دین کی مطلب کی بات مان لی اور تکلیف کی بات چھوڑ دی.

वहाँ मारिए जहाँ पानी न हो

रुक : वहां गर्दन मारीए अलख

क़िब्ला हो तो मुँह न करूँ

कमाल-ए-बेज़ारी ज़ाहिर करने के मौक़ा पर कहते हैं

कहीं ऐसा न हो जाए

उम्मीद के विपरीत कुछ न हो जाए, सामान्यतः चिंता के मौक़े पर हम ऐसा कहते हैं

भूक में भजन भी न हो

भूखे आदमी से इबादत और पूजा भी नहीं हो सकती

नाक न हो तो गू खाएँ

महिलाओं की निंदा में प्रयुक्त, अर्थात अगर इज़्ज़त की परवाह न हो तो ख़राब से ख़राब बैठें

नाक न हो तो गुह खाएँ

आबरू की पर्वा ना करें (औरतों की बद अकली के इज़हार के लिए मुस्तामल)

ऐसा न हो

कहीं एसा न हो, समभवतः, ईश्वर न करे

मरते वक़्त ईमान नसीब न हो

(ओ) इस बात पर यक़ीन दिलाना कि जो कुछ में कह रहा हूँ वो बिलकुल ठीक है (बतौर बददुआ मुस्तामल)

आता हो तो हाथ से न दीजे, जाता हो तो उसका ग़म न कीजे

ملتی چیز کو چھوڑنا اور گئی ہوئی چیز پر افسوس کرنا نہ چاہئے

दिन भले ही न हो जाएँ या फिर भी न जाएँ

अगर काम हो जाये तो नसीबा ही ना जाग जाये

वहाँ गर्दन मारिए जगाँ पानी न हो

इस को निहायत सख़्त और संगीन सज़ा देनी चाहिए

ज़ामिन न हो जैसे गिरह से दीजिये

किसी का जिम्मेदार बनने से अच्छा है कि गिरह से दे दे, पक्का आश्वासन देने से रोकड़ देना अच्छा है

नेक बीबियों के साथ हश्र न हो

(ओ) बख़शिश ना हो (एक कोसना

हाँसी में खाँसी न हो जाए

सुख में दुःखी न हो जाये

हड़ लगे न फिटकरी रंग चोखा हो

मुफ़्त काम हो और उम्दा हो , खर्चे और ज़हमत के बगै़र काम बिन जाये

दमड़ी की दाल बुवा पतली न हो

बहुत अधिक कंजूसी करने वाले पर कटाक्ष

झूटा मरे न शहर पाक हो

झूटे की मज़म्मत में कहते हैं

सदा न फूली केतकी सदा न सावन हो, सदा न जोबन फिर रहे सदा न जीवे को

कोई चीज़ हमेशा नहीं रहती, हर शैय फ़ानी है

सदा न फूली केतकी सदा न सावन हो, सदा न जोबन थिर रहे सदा न जीवे को

कोई चीज़ हमेशा नहीं रहती, हर शैय फ़ानी है

अमीर के पास क़ब्र भी न हो

निर्धन के लिए धनवान का पड़ोसी होना अच्छा नहीं होता

मुँह का थोबड़ा न हो जाए

ऐसा न हो कि पिट जावे

ऊँट बुड्ढा हो गया पर मूतना न आया

आयु बहुत हो जाने पर भी शिष्टाचार न आया

मरते वक़्त कलिमा-ए-मोहम्मद न नसीब हो

(कोसना) एक प्रकार की क़सम और बद-दुआ, इस बात पर ज़ोर देना कि जो कुछ मैं कह रहा हूँ वो बिलकुल ठीक है

होना न हो बराबर

रुक : होना ना होना (दोनों) बराबर

कल को ऐसा न हो

भविष्य काम न बिगड़ जाए

हाथ से दूसरे हाथ को ख़बर न हो

किसी को कानों कान ख़बर नहप हो कि क्या दिया और किस को दिया

नाता न गोता खड़ा हो के रोता

इस ग़ैर मुताल्लिक़ शख़्स की तहक़ीर के लिए मुस्तामल है जो ख़्वामख़्वाह हमदर्दी जताता है

का'बा हो तो उस की तरफ़ मुँह न करूँ

किसी जगह से इस क़दर बेज़ार और तंग होना कि अगर वो जगह मुक़ाम मुक़द्दस और ख़ुदा का घर भी बिन जाये तो उधर का रुख़ ना करना ग़रज़ निहायत बेज़ार तंग और आजिज़ हो जाने के मौक़ा पर ये फ़िक़रा बोला जाता है

रोज़े रखें न नमाज़ पढ़ें, सहरी भी न खाएं तो काफ़िर हो जाएं

نفس پرورں کا مقولہ ہے.

गाय न हो तो बैल दूहो

कुछ न कुछ धंधा करते रहो

सदा न तोराई केतकी सदा न सावन हो, सदा न जोबन थिर रहे सदा न जीवे को

कोई चीज़ हमेशा नहीं रहती, हर शैय फ़ानी है

कौड़ी न हो तो कौड़ी के फिर तीन-तीन

निर्धन आदमी को कोई नहीं पूछता, अपने पास पैसा न हो तो अपना कोई मोल या महत्त्व नहीं

गिरह का दीजिए पर ज़ामिन न हो जिए

۔मिसल। ज़मानत की मज़म्मत में बोलते हैं

आग और ख़स एक-जा हो तो मुमकिन नहीं कि न जले

اگر مرد اور عورت اکٹھے ہوں تو ضرور زنا کی نوبت آتی ہے

आँखों में शर्म न हो तो ढेले अच्छे

ढीट होने से अच्छा है कि अंधा हो (अश्लीलता को दोष देने के स्थान पर प्रयुक्त)

जिस का आँचल ग़ैर मर्द ने न देखा हो

با حیا اور با غیرت عورت کے لئے کہا جاتا ہے .

अपनी गाँठ न हो पैसा तो पराया आसरा कैसा

अपने भरोसे पर काम करना चाहिए

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में न हो के अर्थदेखिए

न हो

na hoنَہ ہو

वाक्य

न हो के हिंदी अर्थ

  • कहीं ऐसा न हो कि (संदेह या शंका प्रकट करने के लिए प्रयुक्त)

نَہ ہو کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • کہیں ایسا نہ ہو کہ (شبہ یا احتمال ظاہر کرنے کے لیے مستعمل)

Urdu meaning of na ho

  • Roman
  • Urdu

  • kahii.n a.isaa na ho ki (shuba ya ehtimaal zaahir karne ke li.e mustaamal

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न हो

कहीं ऐसा न हो कि (संदेह या शंका प्रकट करने के लिए प्रयुक्त)

न होना

ना पाया जाना, हासिल ना होना, मौजूद ना होना (होना (रुक) की ज़िद

न होगा बाँस , न बजेगी बाँसुरी

रुक : ना रहेगा बांस ना बजेगी बांसुरी

क्यूँ न हो

शाबाश, क्या कहना, अवश्य, ज़रूर, वाह वाह, क्यों नहीं, ऐसा ज़रूर हो

हो न हो

definitely, of course, whatever might happen, it may happen or not

न-होत

धन न होना

ये न हो

कोई भी नहीं, एक भी नहीं मिल सकता, इधर न उधर, दोनों नहीं, दोनों में से कोई भी नहीं

खड़का न हो

ज़रा सी आहट हो तो चोर भाग जाता है

कहाँ हो कहाँ न हो

who knows where (he, etc.) may be

हुआ न हो

अब तक नहीं हुआ और ना आइन्दा होगा, नहीं होगा

याद हो कि न हो

۔معلوم نہیںیاد ہے یا بھول گئے۔

बुरा न हो

(तंज़िया) ख़ानाख़राब हो, आफ़त टूटे, नास जाये

ये वो न हो

۔ये वो बात नहीं। ये वैसा मुआमला नहीं।

याद हो कि न याद हो

(किसी को कुछ याद दिलाने के मौके़ पर प्रयुक्त) मालूम नहीं याद है कि भूल गए, क्या पता तुम्हें याद है या तुम्हारे दिमाग़ से उतर गया

कफ़न नसीब न हो

(कोसना) बे गुरू-ओ-कफ़न रहे

ईमान नसीब न हो

दीन-ओ-इस्लाम से महरूम हो जाउं, (ख़ुदा य ताला) मेरे मज़हब को क़बूल ना करे (किसी बात का यक़ीन दिलाने के लिए किस्म के तौर पर मुस्तामल)

भूखे भजन न हो

भूखे आदमी से पूजा भी नहीं हो सकती

पश्म-कंदा न हो सकना

कुछ ना बिगड़ सकना, ज़र्रा भर नुक़्सान ना पहुंचना, कुछ ना हो सकना

क्या क्या न हो गया

कौन सी बात रह गई, कौन सी रुसवाई ना हुई, बहुत कुछ हुआ

हारी मानते हो न जीती

रुक : हारी जीती एक ना / नहीं मानना

नज़र न हो जाए

बुरी नज़र न लगे, बुरी नज़र दूर हो, अल्लाह बुरी नज़र से बचाए

कुछ न कुछ हो रहना

۔تھوڑی بہت کامیابی ہونا۔ ؎

सहरी भी न खाऊँ तो काफ़िर न हो जाऊँ

ایک ماما سحری کھا لیتی تھی روزہ نہ رکھتی تھی ، ایک دن مالک نے پوچھا تو یہ جواب دیا ، یعنی دین کی مطلب کی بات مان لی اور تکلیف کی بات چھوڑ دی.

वहाँ मारिए जहाँ पानी न हो

रुक : वहां गर्दन मारीए अलख

क़िब्ला हो तो मुँह न करूँ

कमाल-ए-बेज़ारी ज़ाहिर करने के मौक़ा पर कहते हैं

कहीं ऐसा न हो जाए

उम्मीद के विपरीत कुछ न हो जाए, सामान्यतः चिंता के मौक़े पर हम ऐसा कहते हैं

भूक में भजन भी न हो

भूखे आदमी से इबादत और पूजा भी नहीं हो सकती

नाक न हो तो गू खाएँ

महिलाओं की निंदा में प्रयुक्त, अर्थात अगर इज़्ज़त की परवाह न हो तो ख़राब से ख़राब बैठें

नाक न हो तो गुह खाएँ

आबरू की पर्वा ना करें (औरतों की बद अकली के इज़हार के लिए मुस्तामल)

ऐसा न हो

कहीं एसा न हो, समभवतः, ईश्वर न करे

मरते वक़्त ईमान नसीब न हो

(ओ) इस बात पर यक़ीन दिलाना कि जो कुछ में कह रहा हूँ वो बिलकुल ठीक है (बतौर बददुआ मुस्तामल)

आता हो तो हाथ से न दीजे, जाता हो तो उसका ग़म न कीजे

ملتی چیز کو چھوڑنا اور گئی ہوئی چیز پر افسوس کرنا نہ چاہئے

दिन भले ही न हो जाएँ या फिर भी न जाएँ

अगर काम हो जाये तो नसीबा ही ना जाग जाये

वहाँ गर्दन मारिए जगाँ पानी न हो

इस को निहायत सख़्त और संगीन सज़ा देनी चाहिए

ज़ामिन न हो जैसे गिरह से दीजिये

किसी का जिम्मेदार बनने से अच्छा है कि गिरह से दे दे, पक्का आश्वासन देने से रोकड़ देना अच्छा है

नेक बीबियों के साथ हश्र न हो

(ओ) बख़शिश ना हो (एक कोसना

हाँसी में खाँसी न हो जाए

सुख में दुःखी न हो जाये

हड़ लगे न फिटकरी रंग चोखा हो

मुफ़्त काम हो और उम्दा हो , खर्चे और ज़हमत के बगै़र काम बिन जाये

दमड़ी की दाल बुवा पतली न हो

बहुत अधिक कंजूसी करने वाले पर कटाक्ष

झूटा मरे न शहर पाक हो

झूटे की मज़म्मत में कहते हैं

सदा न फूली केतकी सदा न सावन हो, सदा न जोबन फिर रहे सदा न जीवे को

कोई चीज़ हमेशा नहीं रहती, हर शैय फ़ानी है

सदा न फूली केतकी सदा न सावन हो, सदा न जोबन थिर रहे सदा न जीवे को

कोई चीज़ हमेशा नहीं रहती, हर शैय फ़ानी है

अमीर के पास क़ब्र भी न हो

निर्धन के लिए धनवान का पड़ोसी होना अच्छा नहीं होता

मुँह का थोबड़ा न हो जाए

ऐसा न हो कि पिट जावे

ऊँट बुड्ढा हो गया पर मूतना न आया

आयु बहुत हो जाने पर भी शिष्टाचार न आया

मरते वक़्त कलिमा-ए-मोहम्मद न नसीब हो

(कोसना) एक प्रकार की क़सम और बद-दुआ, इस बात पर ज़ोर देना कि जो कुछ मैं कह रहा हूँ वो बिलकुल ठीक है

होना न हो बराबर

रुक : होना ना होना (दोनों) बराबर

कल को ऐसा न हो

भविष्य काम न बिगड़ जाए

हाथ से दूसरे हाथ को ख़बर न हो

किसी को कानों कान ख़बर नहप हो कि क्या दिया और किस को दिया

नाता न गोता खड़ा हो के रोता

इस ग़ैर मुताल्लिक़ शख़्स की तहक़ीर के लिए मुस्तामल है जो ख़्वामख़्वाह हमदर्दी जताता है

का'बा हो तो उस की तरफ़ मुँह न करूँ

किसी जगह से इस क़दर बेज़ार और तंग होना कि अगर वो जगह मुक़ाम मुक़द्दस और ख़ुदा का घर भी बिन जाये तो उधर का रुख़ ना करना ग़रज़ निहायत बेज़ार तंग और आजिज़ हो जाने के मौक़ा पर ये फ़िक़रा बोला जाता है

रोज़े रखें न नमाज़ पढ़ें, सहरी भी न खाएं तो काफ़िर हो जाएं

نفس پرورں کا مقولہ ہے.

गाय न हो तो बैल दूहो

कुछ न कुछ धंधा करते रहो

सदा न तोराई केतकी सदा न सावन हो, सदा न जोबन थिर रहे सदा न जीवे को

कोई चीज़ हमेशा नहीं रहती, हर शैय फ़ानी है

कौड़ी न हो तो कौड़ी के फिर तीन-तीन

निर्धन आदमी को कोई नहीं पूछता, अपने पास पैसा न हो तो अपना कोई मोल या महत्त्व नहीं

गिरह का दीजिए पर ज़ामिन न हो जिए

۔मिसल। ज़मानत की मज़म्मत में बोलते हैं

आग और ख़स एक-जा हो तो मुमकिन नहीं कि न जले

اگر مرد اور عورت اکٹھے ہوں تو ضرور زنا کی نوبت آتی ہے

आँखों में शर्म न हो तो ढेले अच्छे

ढीट होने से अच्छा है कि अंधा हो (अश्लीलता को दोष देने के स्थान पर प्रयुक्त)

जिस का आँचल ग़ैर मर्द ने न देखा हो

با حیا اور با غیرت عورت کے لئے کہا جاتا ہے .

अपनी गाँठ न हो पैसा तो पराया आसरा कैसा

अपने भरोसे पर काम करना चाहिए

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