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नाम को नहीं है

केवल नाम का ही नहीं है, नाम गिनाने तक को नहीं है, बिलकुल नहीं है, सर्वथा नहीं है

रात को नाम नहीं लेते हैं

एक अंधविश्वास कि साँप का नाम रात को लिया जाए तो वह निकल आता है (इस लिए रस्सी कह देते हैं)

नाम को नहीं

बराए नाम भी नहीं है, बिलकुल नहीं है, नापैद है

रात को साँप का नाम नहीं लेते हैं

लोक-निश्वास है कि साँप का नाम रात को लिया जाए तो वह निकल आता है इस लिए रस्सी कह देते हैं

सुब्ह को नाम नहीं लेते

सुब्ह को ख़ाली पेट किसी कंजूस का नाम लेना बुरा माना जाता है

मरना है बद नेक को जीना नाप सदा, बेहतर है जो जगत में नेक नाम रह जा

अच्छे काम करने चाहिए ताकि दुनिया में रह जाए, वैसे तो अच्छे बुरे सब को मरना है

चाकर को 'उज़्र नहीं कूकर को 'उज़्र है

कुत्ता हुक्म ना माने मगर नौकर को मानना पड़ता है, नौकर को ताबेदारी के सिवा और कोई चारा नहीं

खिलाए का नाम नहीं, रुलाए का नाम है

अच्छे बर्ताव और अच्छी सेवा की कोई प्रशंसा नहीं करता लेकिन बुरी बात की तुरंत पकड़ हो जाती है

खिलाए का नाम नहीं , रोलाए का नाम है

۔مثل۔ نیک کام اور حسن خدمت کی کوئی داد نہیں دیتا۔ لیکن بُری بات فوراً پکڑ لی جاتی ہے۔

मुझ को पाता है तो छुरी को नहीं पाता

जान का दुश्मन है , क्या करे कुछ बस नहीं चलता यानी जब तक ख़ुदा ना चाहे कोई किसी को नुक़्सान नहीं पहुंचा सकता

मुझ को पाता है तो तलवार को नहीं पाता

जान का दुश्मन है , क्या करे कुछ बस नहीं चलता यानी जब तक ख़ुदा ना चाहे कोई किसी को नुक़्सान नहीं पहुंचा सकता

मुझ को पाता है तो छुरी को नहीं पाता

किसी के प्रति अपना तीव्र रोष और विद्वेष प्रकट करना

मुझ को पाता है तो हथियार को नहीं पाता

जान का दुश्मन है , क्या करे कुछ बस नहीं चलता यानी जब तक ख़ुदा ना चाहे कोई किसी को नुक़्सान नहीं पहुंचा सकता

नाम क्या शकर-पारा, रोटी खाए दस-बारा, पानी कितना है मटका सारा, काम करने को लड़का बिचारा

खाता बहुत है परंतु काम नहीं करता

ख़ुदा को देखा नहीं 'अक़्ल से पहचाना है

बिना देखे ईश्वर पर विश्वास है, यह कहावत उस समय कहते हैं जब किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती है

मुज को पाता है तो तल्वार नहीं पाता

(छुरी को नहीं पाता ज़्यादा बोलते हैं) दुश्मन जान है क्या करे कि बस नहीं चलता

खिलाए का नाम नहीं, रुलाए का इल्ज़ाम है

अच्छे बर्ताव और अच्छी सेवा की कोई प्रशंसा नहीं करता लेकिन बुरी बात की तुरंत पकड़ हो जाती है

ख़ुदा को देखा नहीं तो 'अक़्ल से पहचाना है

हर जगह ग़लत नहीं होता, बुद्धि से बहुत कुछ बातें समझ में आ जाती हैं

हम रोटी नहीं खाते रोटी हम को खाती है

بڑی تنگی سے بسر ہوتی ہے ، کھانے کی محنت اور تکلیف زیادہ تنگ کرتی ہے

कौन सा दरख़्त है जिस को हवा नहीं लगी

ऐब और तकलीफ़ से कोई ख़ाली नहीं

कौन सा दरख़्त है जिस को हवा नहीं लगती

ऐब और तकलीफ़ से कोई ख़ाली नहीं

अल्लाह को देखा नहीं पर 'अक़्ल से तो पहचाना है

आसार-ओ-क़राइन से किसी अमर वग़ैरा का अंदाज़ा लगाने के मौक़ा पर मुस्तामल

अन-होती को होत को ताकत है सब को, अन-होनी होनी नहीं होनी, होवे सो होए

जो होना है या जो भाग्य में है वह होकर रहता है, जो नहीं होना या जो भाग्य में नहीं है वह कभी नहीं होगा, यद्यपि बहुत से लोग असंभव बात की आशा रखते हैं, परंतु असंभव बात होती नहीं

जिस के पैसा नहीं है पास , उस को मेला लगे उदास

जिस शख़्स के पास पैसा नहीं उसे किसी चीज़ का लुतफ़ नहीं आता

ख़ुदा जब किसी को नवाज़ता है तो इस से सलाह मशवरा नहीं करता

अल्लाह जिस तरह चाहे और जब चाहे अपने बंदों पर लुतफ़-ओ-करम की बारिश कर देता है

कुछ लेते हो, कहा अपना काम क्या है, कुछ देते हो, कहा यह शरारत बंदे को नहीं आती

लेने को तैयार, देने से नकारना

कुछ लेते हो, कहा अपना काम यही है, कुछ देते हो, कहा यह शरारत बंदे को नहीं भाती

लेने को तैयार, देने से नकारना

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में नाम को नहीं है के अर्थदेखिए

नाम को नहीं है

naam ko nahii.n haiنام کو نَہیں ہے

वाक्य

नाम को नहीं है के हिंदी अर्थ

  • केवल नाम का ही नहीं है, नाम गिनाने तक को नहीं है, बिलकुल नहीं है, सर्वथा नहीं है

نام کو نَہیں ہے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • برائے نام نہیں ہے ، نام گنانے تک کو نہیں ہے ، بالکل نہیں ہے ، مطلق نہیں ہے

Urdu meaning of naam ko nahii.n hai

  • Roman
  • Urdu

  • baraa.e naam nahii.n hai, naam ginaane tak ko nahii.n hai, bilkul nahii.n hai, mutlaq nahii.n hai

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केवल नाम का ही नहीं है, नाम गिनाने तक को नहीं है, बिलकुल नहीं है, सर्वथा नहीं है

रात को नाम नहीं लेते हैं

एक अंधविश्वास कि साँप का नाम रात को लिया जाए तो वह निकल आता है (इस लिए रस्सी कह देते हैं)

नाम को नहीं

बराए नाम भी नहीं है, बिलकुल नहीं है, नापैद है

रात को साँप का नाम नहीं लेते हैं

लोक-निश्वास है कि साँप का नाम रात को लिया जाए तो वह निकल आता है इस लिए रस्सी कह देते हैं

सुब्ह को नाम नहीं लेते

सुब्ह को ख़ाली पेट किसी कंजूस का नाम लेना बुरा माना जाता है

मरना है बद नेक को जीना नाप सदा, बेहतर है जो जगत में नेक नाम रह जा

अच्छे काम करने चाहिए ताकि दुनिया में रह जाए, वैसे तो अच्छे बुरे सब को मरना है

चाकर को 'उज़्र नहीं कूकर को 'उज़्र है

कुत्ता हुक्म ना माने मगर नौकर को मानना पड़ता है, नौकर को ताबेदारी के सिवा और कोई चारा नहीं

खिलाए का नाम नहीं, रुलाए का नाम है

अच्छे बर्ताव और अच्छी सेवा की कोई प्रशंसा नहीं करता लेकिन बुरी बात की तुरंत पकड़ हो जाती है

खिलाए का नाम नहीं , रोलाए का नाम है

۔مثل۔ نیک کام اور حسن خدمت کی کوئی داد نہیں دیتا۔ لیکن بُری بات فوراً پکڑ لی جاتی ہے۔

मुझ को पाता है तो छुरी को नहीं पाता

जान का दुश्मन है , क्या करे कुछ बस नहीं चलता यानी जब तक ख़ुदा ना चाहे कोई किसी को नुक़्सान नहीं पहुंचा सकता

मुझ को पाता है तो तलवार को नहीं पाता

जान का दुश्मन है , क्या करे कुछ बस नहीं चलता यानी जब तक ख़ुदा ना चाहे कोई किसी को नुक़्सान नहीं पहुंचा सकता

मुझ को पाता है तो छुरी को नहीं पाता

किसी के प्रति अपना तीव्र रोष और विद्वेष प्रकट करना

मुझ को पाता है तो हथियार को नहीं पाता

जान का दुश्मन है , क्या करे कुछ बस नहीं चलता यानी जब तक ख़ुदा ना चाहे कोई किसी को नुक़्सान नहीं पहुंचा सकता

नाम क्या शकर-पारा, रोटी खाए दस-बारा, पानी कितना है मटका सारा, काम करने को लड़का बिचारा

खाता बहुत है परंतु काम नहीं करता

ख़ुदा को देखा नहीं 'अक़्ल से पहचाना है

बिना देखे ईश्वर पर विश्वास है, यह कहावत उस समय कहते हैं जब किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती है

मुज को पाता है तो तल्वार नहीं पाता

(छुरी को नहीं पाता ज़्यादा बोलते हैं) दुश्मन जान है क्या करे कि बस नहीं चलता

खिलाए का नाम नहीं, रुलाए का इल्ज़ाम है

अच्छे बर्ताव और अच्छी सेवा की कोई प्रशंसा नहीं करता लेकिन बुरी बात की तुरंत पकड़ हो जाती है

ख़ुदा को देखा नहीं तो 'अक़्ल से पहचाना है

हर जगह ग़लत नहीं होता, बुद्धि से बहुत कुछ बातें समझ में आ जाती हैं

हम रोटी नहीं खाते रोटी हम को खाती है

بڑی تنگی سے بسر ہوتی ہے ، کھانے کی محنت اور تکلیف زیادہ تنگ کرتی ہے

कौन सा दरख़्त है जिस को हवा नहीं लगी

ऐब और तकलीफ़ से कोई ख़ाली नहीं

कौन सा दरख़्त है जिस को हवा नहीं लगती

ऐब और तकलीफ़ से कोई ख़ाली नहीं

अल्लाह को देखा नहीं पर 'अक़्ल से तो पहचाना है

आसार-ओ-क़राइन से किसी अमर वग़ैरा का अंदाज़ा लगाने के मौक़ा पर मुस्तामल

अन-होती को होत को ताकत है सब को, अन-होनी होनी नहीं होनी, होवे सो होए

जो होना है या जो भाग्य में है वह होकर रहता है, जो नहीं होना या जो भाग्य में नहीं है वह कभी नहीं होगा, यद्यपि बहुत से लोग असंभव बात की आशा रखते हैं, परंतु असंभव बात होती नहीं

जिस के पैसा नहीं है पास , उस को मेला लगे उदास

जिस शख़्स के पास पैसा नहीं उसे किसी चीज़ का लुतफ़ नहीं आता

ख़ुदा जब किसी को नवाज़ता है तो इस से सलाह मशवरा नहीं करता

अल्लाह जिस तरह चाहे और जब चाहे अपने बंदों पर लुतफ़-ओ-करम की बारिश कर देता है

कुछ लेते हो, कहा अपना काम क्या है, कुछ देते हो, कहा यह शरारत बंदे को नहीं आती

लेने को तैयार, देने से नकारना

कुछ लेते हो, कहा अपना काम यही है, कुछ देते हो, कहा यह शरारत बंदे को नहीं भाती

लेने को तैयार, देने से नकारना

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