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पुस

खीरा, ककड़ी आदि।

पुस्ती

رک : پُشتی.

पुस्त

गीली मिट्टी, लकड़ी, कपड़े, चमड़े, लोहे या रत्नों आदि को गढ़, काट या छील-छालकर बनाई जाने वाली वस्तु

पुस्ता

رک، پُست (۱) معنی نمبر۲

पुस्तक

हाथ से लिखे हुए या छपे हुए पन्नों का जिल्द बँधा हुआ रूप, (पत्रिका से भिन्न), ग्रंथ, पोथी, किताब, हस्तलेख

पुस्तकी

رک : پُستک

पुस्तारे

رک : پشتارے .

पुस्पूत

गोद लिया हुआ बेटा

पुस्तारा

رک : پُشتارہ.

पुसा

رک : پُشا ، سورج.

पुस दे सी

رک : پھس سے ، فوراً ، ترت .

पुस्तकालय

वह भवन जहाँ पुस्तकें अध्ययन के लिए एकत्र की जाती हैं, वह स्थान जहाँ विभिन्न विषयों की पुस्तकें संगृहीत हों, कुतुबख़ाना, पुस्तकालय

पुसाना

कार्य आदि का शक्य या संभव होना, पूरा पड़ना, बन पड़ना

पुस्तकागर

رک : پستکالیہ .

पुस्तक-गौर

हिंदुओं की धार्मिक किताब

पुस्त-ख़ाना

डाकख़ाना

पुस्तक-भंडार

पुस्तकालय; किताबों की दुकान

पुस्ती का पुश्तारा बनना

बहुत ज़्यादा बेवक़ूफ़ी करना, बड़ा समर्थक होना

पूस

विक्रमी संवत् का दसवाँ महीना, फ़सली सन का चौथा महीना जिसमें सर्दी बहुत कठोर होती है, वह चांद्र-मास जो अगहन के बाद पड़ता है, हिन्दुओं के मुताबिक़ साल का नवां महीना जिसमें सर्दी बहुत कठोर होती है, दिसंबर जनवरी का ज़माना जब कि पूरा चांद पुष्य नछत्तर यानी बुरज-ए-सर्तान के तीन सितारों के पास रहता है, पौष माह

पूस कोने गूस

पूस के महीने में सर्दी बहुत पड़ती है इस लिए लोग कोनों में गर्म होने के लिए घुसते हैं यानी बाहर कम निकलते हैं

पूस कोने घूस

पूस के महीने में सर्दी बहुत पड़ती है और लोग गर्म होने के लिए कोनों में घुस जाते हैं

पूसी

رک : پُسی .

पल पुस कर

۔ (عو) پرورش ہوکر۔ (فقرہ) میں کہتی ہوں تم بھی اس گھر سے پَل پُس کر نکلی ہو۔

भूरा भैंसा चाँदली जोए पूस महावट बुरे होए

भूरा भैंसा गण औरत और पोस में बारिश बुरी होती या शाज़-ओ-नादिर होती हैं

माघ पूस की बादरी और कुँवार का घाम, इन सब को झेल कर करे पराया काम

नौकरी करनी आसान नहीं है इस में माघ और पोस की बारिश, कुआर की गर्मी बर्दाश्त करनी पड़ती है तब मालिक का काम होता है, नौकरी में गर्मी, सर्दी, बरसात सब को झेलना पड़ता है

माघ पूस की बादरी और कुवार का घाम, इन सब को झेल कर करे पराया काम

नौकरी करना आसान नहीं है इस में माघ और पूस की बारिश कुवार की गर्मी झेलनी पड़ती है तब मालिक का काम होता है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में पुस के अर्थदेखिए

पुस

pusپُس

स्रोत: फ़ारसी

वज़्न : 2

पुस के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • खीरा, ककड़ी आदि।
  • राँगा।
  • होंठों को सिकोड़कर हवा झटके से अन्दर की ओर खींचने से होनेवाला शब्द जो प्रायः प्यार से बिल्ली, कुत्ते आदि को अपने पास बुलाने के लिए किया जाता है
  • पुत्र, तनय, आत्मज, लड़का, बेटा।

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पुस

खीरा, ककड़ी आदि।

पुस्ती

رک : پُشتی.

पुस्त

गीली मिट्टी, लकड़ी, कपड़े, चमड़े, लोहे या रत्नों आदि को गढ़, काट या छील-छालकर बनाई जाने वाली वस्तु

पुस्ता

رک، پُست (۱) معنی نمبر۲

पुस्तक

हाथ से लिखे हुए या छपे हुए पन्नों का जिल्द बँधा हुआ रूप, (पत्रिका से भिन्न), ग्रंथ, पोथी, किताब, हस्तलेख

पुस्तकी

رک : پُستک

पुस्तारे

رک : پشتارے .

पुस्पूत

गोद लिया हुआ बेटा

पुस्तारा

رک : پُشتارہ.

पुसा

رک : پُشا ، سورج.

पुस दे सी

رک : پھس سے ، فوراً ، ترت .

पुस्तकालय

वह भवन जहाँ पुस्तकें अध्ययन के लिए एकत्र की जाती हैं, वह स्थान जहाँ विभिन्न विषयों की पुस्तकें संगृहीत हों, कुतुबख़ाना, पुस्तकालय

पुसाना

कार्य आदि का शक्य या संभव होना, पूरा पड़ना, बन पड़ना

पुस्तकागर

رک : پستکالیہ .

पुस्तक-गौर

हिंदुओं की धार्मिक किताब

पुस्त-ख़ाना

डाकख़ाना

पुस्तक-भंडार

पुस्तकालय; किताबों की दुकान

पुस्ती का पुश्तारा बनना

बहुत ज़्यादा बेवक़ूफ़ी करना, बड़ा समर्थक होना

पूस

विक्रमी संवत् का दसवाँ महीना, फ़सली सन का चौथा महीना जिसमें सर्दी बहुत कठोर होती है, वह चांद्र-मास जो अगहन के बाद पड़ता है, हिन्दुओं के मुताबिक़ साल का नवां महीना जिसमें सर्दी बहुत कठोर होती है, दिसंबर जनवरी का ज़माना जब कि पूरा चांद पुष्य नछत्तर यानी बुरज-ए-सर्तान के तीन सितारों के पास रहता है, पौष माह

पूस कोने गूस

पूस के महीने में सर्दी बहुत पड़ती है इस लिए लोग कोनों में गर्म होने के लिए घुसते हैं यानी बाहर कम निकलते हैं

पूस कोने घूस

पूस के महीने में सर्दी बहुत पड़ती है और लोग गर्म होने के लिए कोनों में घुस जाते हैं

पूसी

رک : پُسی .

पल पुस कर

۔ (عو) پرورش ہوکر۔ (فقرہ) میں کہتی ہوں تم بھی اس گھر سے پَل پُس کر نکلی ہو۔

भूरा भैंसा चाँदली जोए पूस महावट बुरे होए

भूरा भैंसा गण औरत और पोस में बारिश बुरी होती या शाज़-ओ-नादिर होती हैं

माघ पूस की बादरी और कुँवार का घाम, इन सब को झेल कर करे पराया काम

नौकरी करनी आसान नहीं है इस में माघ और पोस की बारिश, कुआर की गर्मी बर्दाश्त करनी पड़ती है तब मालिक का काम होता है, नौकरी में गर्मी, सर्दी, बरसात सब को झेलना पड़ता है

माघ पूस की बादरी और कुवार का घाम, इन सब को झेल कर करे पराया काम

नौकरी करना आसान नहीं है इस में माघ और पूस की बारिश कुवार की गर्मी झेलनी पड़ती है तब मालिक का काम होता है

सूचनार्थ: औपचारिक आरंभ से पूर्व यह रेख़्ता डिक्शनरी का बीटा वर्ज़न है। इस पर अंतिम रूप से काम जारी है। इसमें किसी भी विसंगति के संदर्भ में हमें dictionary@rekhta.org पर सूचित करें। या सुझाव दीजिए

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