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जब तक

जिस समय तक, ऐसे समय तक

जब तक जीना, तब तक सीना

उम्र भर कठोर परिश्रम करना पड़ता है, उम्र भर मज़दूरी करना और खाना

जब तक साँस, तब तक आस बाक़ी

अंतिम साँस तक जीवन की आस रहती है

जब तक साँस, तब तक आस

अंतिम साँस तक जीवन की आस रहती है

जब तक साँस, तब तक आस बाक़ी है

अंतिम साँस तक जीवन की आस रहती है

जब तक दम है, तब तक ग़म है

दुख और चिंता जान के साथ हैं, साथ नहीं छोड़ते अर्थात जीवन में दुखों से बचने का कोई उपाय नहीं

जब तक साक़ी, तब तक आस

As long as there is a cup-bearer or protector, there is a hope.

जब तक क बाबू तब तक करूँ अपने क़ाबू

ख़ुशामद करने वाला दूसरे को अपने क़ाबू मैन कर लेता है

जब तक चाँद और सूरज हैं

क़ियामत तक, सदैव

जब तक रिकाबी में भात, तब तक मेरा तेरा साथ

मतलब की दोस्ती है, जब तक मतलब निकलता रहेगा, साथ रहेगा, अपना मतलब ख़त्म हुआ और दोस्ती ख़त्म

जब तक जान क़ालिब में है

जब तक ज़िंदगी है, (रुक) जब तक जान में जान है

जब तक तंग दस्ती है परहेज़-गारी है

ग़ुर्बत में आदमी नेक चलन रहता है

जब तक जान में जान है

ज़िंदगी भर, जब तक ज़िंदा हैं

जब तक बहू रही कुँवारी सास रही वारी , जब बहू गई ब्याही पड़ गई ख़ुवारी

जब तक शादी नहीं हो जाती सास बहू की बहुत ख़ातिरदारी करती है शादी के बादहू क़दर नहीं रहती

जब तक बहू कुवारी तब तक सास वारी , बहू आई गोद में लाड गया हौज़ में

रुक : जब तक बहू रही कुंवारी सास रही वारी . . .

जब तक ऊँट पहाड़ के नीचे नहीं आता, तब तक वह जानता है मुझ से ऊँचा कोई नहीं

जब तक किसी मनुष्य का अपने से अधिक योग्य व्यक्ति से पाला नहीं पड़ता तब तक वह अपने को ही सब से बड़ा समझता है

जब तक बच्चा रोता नहीं माँ दूध नहें देती

बिना माँगे कुछ नहीं मिलता

जब तक पहिय्या लुढ़के, लुढ़काए जाओ

जब तक काम निकलता है, निकाले जाओ

भोग बिलास, जब तक साँस

जब तक ज़िंदगी है मज़े उड़ाने चाहिए

दर्ज़ी का लड़का जब तक जियेगा तब तक सियेगा

इंसान को मआश के लिए उम्र भर जद्द-ओ-जहद करनी पड़ती है, अगर कमाते नहीं तो गुज़र बसर कैसे हो

रिकाबी में जब तक भात , मेरा तेरा साथ

फ़ायदा का लालच रखता है, मतलब का यार है

ऊँट जब तक पहाड़ के नीचे नहीं जाता, तब तक ही जानता है मुझ से ऊँचा कोई नहीं

जब तक किसी मनुष्य का अपने से अधिक योग्य व्यक्ति से पाला नहीं पड़ता तब तक वह अपने को ही सब से बड़ा समझता है

भैंस दूध को कढ़वा पीवे हंगा घटे न जब तक जीवे

भैंस का दूध बड़ा ताक़त दह होता है जो उसे काढ़ कर पीता रहे जब तक जीता रहेगा उस की ताक़त कम ना होगी

गीदड़ उछ्ला उछ्ला जब अंगूर के ख़ोशे तक न पहुँचा तो कहा अख़ थू

बहुतेरी तदबीर की जब एक ना चली तो दूसरों ही का क़सूर बताया जब कोई तदबीर बिन नहीं पड़ती तो अपनी शर्मिंदगी मिटाने को दूसरों का क़सूर बताते हैं

ऊँट जब तक पहाड़ के नीचे न आए किसी को अपने से ऊँचा नहीं समझता

झाँसी गले की फाँसी , दत्या गले का हार , ललत पूर न छोड़िये जब तक मिले उधार

इन शहरों के मुताल्लिक़ लोगों के ख़्यालात ये हैं कि शहर झांसी गले की फांसी की मानिंद है यानी पीछा छुड़ाना मुश्किल है और दतिया बहुत मुहब्बत करने वाला है और ललित पर को इस वक़्त तक नहीं छोड़ना चाहिए जब तक वहां उधार मिलता रहे

ऊँट जब तक पहाड़ के नीचे न आए किसी को अपने से ऊँचा नहीं समझता

गीदड़ उछला उछला जब अंगूर के ख़ोशे तक न पहुँचा तो कहा अंगूर खट्टे होते हैं

बहुतेरी तदबीर की जब एक ना चली तो दूसरों ही का क़सूर बताया जब कोई तदबीर बिन नहीं पड़ती तो अपनी शर्मिंदगी मिटाने को दूसरों का क़सूर बताते हैं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में जब तक के अर्थदेखिए

जब तक

jab takجَب تَک

जब तक के हिंदी अर्थ

क्रिया-विशेषण

  • जिस समय तक, ऐसे समय तक

English meaning of jab tak

Adverb

  • till when, till (such time as), until, as long as, so long as

جَب تَک کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

فعل متعلق

  • جس وقت تک، ایسے وقت تک

Urdu meaning of jab tak

  • Roman
  • Urdu

  • jis vaqt tak, a.ise vaqt tak

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जब तक

जिस समय तक, ऐसे समय तक

जब तक जीना, तब तक सीना

उम्र भर कठोर परिश्रम करना पड़ता है, उम्र भर मज़दूरी करना और खाना

जब तक साँस, तब तक आस बाक़ी

अंतिम साँस तक जीवन की आस रहती है

जब तक साँस, तब तक आस

अंतिम साँस तक जीवन की आस रहती है

जब तक साँस, तब तक आस बाक़ी है

अंतिम साँस तक जीवन की आस रहती है

जब तक दम है, तब तक ग़म है

दुख और चिंता जान के साथ हैं, साथ नहीं छोड़ते अर्थात जीवन में दुखों से बचने का कोई उपाय नहीं

जब तक साक़ी, तब तक आस

As long as there is a cup-bearer or protector, there is a hope.

जब तक क बाबू तब तक करूँ अपने क़ाबू

ख़ुशामद करने वाला दूसरे को अपने क़ाबू मैन कर लेता है

जब तक चाँद और सूरज हैं

क़ियामत तक, सदैव

जब तक रिकाबी में भात, तब तक मेरा तेरा साथ

मतलब की दोस्ती है, जब तक मतलब निकलता रहेगा, साथ रहेगा, अपना मतलब ख़त्म हुआ और दोस्ती ख़त्म

जब तक जान क़ालिब में है

जब तक ज़िंदगी है, (रुक) जब तक जान में जान है

जब तक तंग दस्ती है परहेज़-गारी है

ग़ुर्बत में आदमी नेक चलन रहता है

जब तक जान में जान है

ज़िंदगी भर, जब तक ज़िंदा हैं

जब तक बहू रही कुँवारी सास रही वारी , जब बहू गई ब्याही पड़ गई ख़ुवारी

जब तक शादी नहीं हो जाती सास बहू की बहुत ख़ातिरदारी करती है शादी के बादहू क़दर नहीं रहती

जब तक बहू कुवारी तब तक सास वारी , बहू आई गोद में लाड गया हौज़ में

रुक : जब तक बहू रही कुंवारी सास रही वारी . . .

जब तक ऊँट पहाड़ के नीचे नहीं आता, तब तक वह जानता है मुझ से ऊँचा कोई नहीं

जब तक किसी मनुष्य का अपने से अधिक योग्य व्यक्ति से पाला नहीं पड़ता तब तक वह अपने को ही सब से बड़ा समझता है

जब तक बच्चा रोता नहीं माँ दूध नहें देती

बिना माँगे कुछ नहीं मिलता

जब तक पहिय्या लुढ़के, लुढ़काए जाओ

जब तक काम निकलता है, निकाले जाओ

भोग बिलास, जब तक साँस

जब तक ज़िंदगी है मज़े उड़ाने चाहिए

दर्ज़ी का लड़का जब तक जियेगा तब तक सियेगा

इंसान को मआश के लिए उम्र भर जद्द-ओ-जहद करनी पड़ती है, अगर कमाते नहीं तो गुज़र बसर कैसे हो

रिकाबी में जब तक भात , मेरा तेरा साथ

फ़ायदा का लालच रखता है, मतलब का यार है

ऊँट जब तक पहाड़ के नीचे नहीं जाता, तब तक ही जानता है मुझ से ऊँचा कोई नहीं

जब तक किसी मनुष्य का अपने से अधिक योग्य व्यक्ति से पाला नहीं पड़ता तब तक वह अपने को ही सब से बड़ा समझता है

भैंस दूध को कढ़वा पीवे हंगा घटे न जब तक जीवे

भैंस का दूध बड़ा ताक़त दह होता है जो उसे काढ़ कर पीता रहे जब तक जीता रहेगा उस की ताक़त कम ना होगी

गीदड़ उछ्ला उछ्ला जब अंगूर के ख़ोशे तक न पहुँचा तो कहा अख़ थू

बहुतेरी तदबीर की जब एक ना चली तो दूसरों ही का क़सूर बताया जब कोई तदबीर बिन नहीं पड़ती तो अपनी शर्मिंदगी मिटाने को दूसरों का क़सूर बताते हैं

ऊँट जब तक पहाड़ के नीचे न आए किसी को अपने से ऊँचा नहीं समझता

झाँसी गले की फाँसी , दत्या गले का हार , ललत पूर न छोड़िये जब तक मिले उधार

इन शहरों के मुताल्लिक़ लोगों के ख़्यालात ये हैं कि शहर झांसी गले की फांसी की मानिंद है यानी पीछा छुड़ाना मुश्किल है और दतिया बहुत मुहब्बत करने वाला है और ललित पर को इस वक़्त तक नहीं छोड़ना चाहिए जब तक वहां उधार मिलता रहे

ऊँट जब तक पहाड़ के नीचे न आए किसी को अपने से ऊँचा नहीं समझता

गीदड़ उछला उछला जब अंगूर के ख़ोशे तक न पहुँचा तो कहा अंगूर खट्टे होते हैं

बहुतेरी तदबीर की जब एक ना चली तो दूसरों ही का क़सूर बताया जब कोई तदबीर बिन नहीं पड़ती तो अपनी शर्मिंदगी मिटाने को दूसरों का क़सूर बताते हैं

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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